
Most Notorious Dacoits in India: फिल्म धुरंधर में अक्षय खन्ना का ‘रहमान डकैत’ का रोल इन दिनों सोशल मीडिया और दर्शकों के बीच खूब सुर्खियां बटोर रहा है। उनकी तेज-तर्रार एक्टिंग और खौफनाक अंदाज ने दर्शकों तक ही नहीं, बल्कि फिल्म के लीड स्टार रणवीर सिंह तक को भी पीछे छोड़ दिया है। ऑन-स्क्रीन गैंगस्टर्स और डकैतों के कई किरदार आए, लेकिन असल जिंदगी के कुछ डकैत इतने कुख्यात हुए कि उनके नाम आज भी बीहड़ों और लोककथाओं में डर और रोमांच दोनों पैदा करते हैं। जानिए भारत के 10 सबसे खतरनाक और चर्चित डकैतों की असल कहानी, जिनका आतंक चंबल, बुंदेलखंड, दक्कन और दक्षिण भारत तक फैला हुआ था।
फूलन देवी की कहानी भारत के डकैत इतिहास की सबसे विवादित और चर्चित कहानियों में से एक है। गरीब पिछड़ी जाति में जन्म, कम उम्र में शोषण, बाल विवाह और लगातार अत्याचारों ने उन्हें चंबल की ओर धकेला। बेहमई नरसंहार (1981) में 20 से ज्यादा ठाकुरों की हत्या ने उन्हें रातों-रात देश की सबसे कुख्यात डकैत बना दिया। 1983 में उन्होंने आत्मसमर्पण किया, फिर जेल से रिहा होकर राजनीति में आईं और दो बार लोकसभा सांसद भी बनीं। 2001 में उनकी दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन पर बनी फिल्म बैंडिट क्वीन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
फिल्म शोले का गब्बर भले ही काल्पनिक हो, लेकिन उसका प्रेरणा स्रोत असली गब्बर सिंह गुर्जर था, जो मध्य प्रदेश के भिंड-चंबल इलाके का सबसे डरावना डकैत माना जाता है। वह दर्जनों हत्याओं के साथ-साथ 100 से ज्यादा लोगों के नाक-कान काटने जैसे अमानवीय अपराधों के लिए बदनाम था। उसके बारे में तंत्र-मंत्र और नरबलि जैसे अंधविश्वासी कृत्यों की भी खूब कहानियां चर्चित रहीं। लगातार पुलिस मुठभेड़ों और क्रूरता के कारण उसका नाम बीहड़ों में आतंक का प्रतीक बन गया।
मान सिंह की कहानी डकैत इतिहास में अलग जगह रखती है। आगरा, मथुरा, चंबल की सीमाओं पर सक्रिय इस राजपूत डकैत पर 1000 से ज्यादा डकैतियों और 150 से ज्यादा हत्याओं के आरोप लगे। फिर भी कई गांवों में उसकी छवि रॉबिन हुड की तरह थी, जो अमीरों को लूटकर गरीबों की मदद करता था। 1950 के दशक में पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत हुई, लेकिन आज भी उसके बारे में लोकगीत और कहानियां सुनाई जाती हैं।
पान सिंह तोमर की कहानी अनोखी है, क्योंकि वह पहले भारतीय सेना का जवान और नेशनल स्टिपलचेज चैंपियन रहे। रिटायरमेंट के बाद जमीन विवाद, थाने-कचहरी में न्याय न मिलना और परिवार पर हमले, इन सबने उसे हथियार उठाने पर मजबूर कर दिया। वह चंबल के बीहड़ों में उतरा और कुछ साल में खतरनाक डकैत बन गया। 1980 के दशक में पुलिस कार्रवाई में मारा गया। उनकी जिंदगी पर बनी फिल्म पान सिंह तोमर ने उनकी कहानी नई पीढ़ी तक पहुंचाया।
दक्षिण भारत का सबसे कुख्यात डकैत वीरप्पन चंदन और हाथीदांत की तस्करी का सबसे बड़ा नाम था। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल की सीमा के घने जंगलों में उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि पुलिस भी उसके इलाके में जाने से डरती थी। उस पर सैकड़ों हत्याओं, पुलिस और फॉरेस्ट अफसरों की हत्या, हजारों टन चंदन की तस्करी, अभिनेता राजकुमार जैसे हाई-प्रोफाइल अपहरण के आरोप लगे। 2004 में स्पेशल टास्क फोर्स ने उसे एक बड़े ऑपरेशन में ढेर कर दिया।
1960-70 के दशक में मोहर सिंह चंबल का सबसे बड़ा नाम था। उस पर 80 से ज्यादा हत्याएं और 300 से अधिक लूट व अपहरण के केस दर्ज थे। उसके सिर पर भारी इनाम था। जमीनी विवाद से अपराध की शुरुआत कर उसने करीब 150 डकैतों का सबसे बड़ा गिरोह तैयार किया। 1972 में जयप्रकाश नारायण की मध्यस्थता से उसने गिरोह समेत आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में राजनीति और फिल्मों में भी नजर आया। 2020 में उसकी मौत हो गई।
मलखान सिंह 1970-80 के दशक में बीहड़ों का सबसे खतरनाक डकैत कहलाया। उसे दस्यु सम्राट, डकैतों का राजा तक कहा जाता था। उसके गिरोह पर 175 से ज्यादा हत्याओं, कई पुलिसकर्मियों की हत्या, सैकड़ों डकैतियों के आरोप लगे। 1982 में उसने मुख्यमंत्री के सामने आत्मसमर्पण किया और बाद में राजनीति में भी सक्रिय रहा।
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ददुआ करीब 30 साल तक बीहड़ों पर राज करता रहा। उसके खिलाफ 150 से अधिक हत्याओं और सैकड़ों लूट के केस दर्ज थे। इलाके की राजनीति पर उसका इतना प्रभाव था कि कई नेता उससे रिश्ते जोड़कर चलते थे। 2007 में यूपी स्पेशल टास्क फोर्स ने मुठभेड़ में उसे मार गिराया। बाद में उसके परिवार के लोग राजनीति में आने लगे।
निर्भय गुर्जर को चंबल का आखिरी बड़ा डकैत कहा जाता है। 1980-90 के दशक में उसका गिरोह अपहरण, फिरौती और हत्याओं के मामलों में कुख्यात था। वह मीडिया से बातचीत करके खुद को बागी और न्याय का लड़ाका बताने की कोशिश भी करता था। 2005 में यूपी पुलिस के एनकाउंटर में उसकी मौत के बाद चंबल के बीहड़ों का पारंपरिक डकैत युग खत्म माना जाने लगा।
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20वीं सदी की शुरुआत में सुल्ताना डाकू का नाम गंगा-यमुना दोआब में खौफ का पर्याय था। उसके बारे में कहा जाता है कि वह अंग्रेजी हुकूमत और अत्याचारी जमींदारों को निशाना बनाता था। कई लोककथाओं में वह रॉबिन हुड जैसा नायक दिखता है, लेकिन ब्रिटिश रिकॉर्ड में वह खतरनाक अपराधी था। अंत में अंग्रेजों ने उसे गिरफ्तार कर फांसी दे दी।