अनूठा फैसला: सालभर में एक पेड़ 74500 रुपए कीमत का हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने तय की कीमत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति ने पेड़ों का ऐसा मूल्यांकन किया है, जो उन्हें बचाने में मददगार साबित होगा। कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया कि एक पेड़ सालभर में करीब 74500 रुपए मूल्य तक बढ़ता है। यानी 100 साल पुराना पेड़ एक करोड़ के आसपास का हुआ। यह पहली बार हुआ है, जब पेड़ों की उनकी आयु के हिसाब से आर्थिक मूल्य तय किया गया है।

वडोदरा, गुजरात. रेलवे ट्रैक और हाइवे बनाने जिस तरह से पेड़ों का सफाया होता है, वो पर्यावरण के लिए बेहद चिंताजनक है। खैर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति ने पेड़ों का ऐसा मूल्यांकन किया है, जो उन्हें बचाने में मददगार साबित होगा। कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया कि एक पेड़ सालभर में करीब 74500 रुपए मूल्य तक बढ़ता है। यानी 100 साल पुराना पेड़ एक करोड़ के आसपास का हुआ। यह पहली बार हुआ है, जब पेड़ों की उनकी आयु के हिसाब से आर्थिक मूल्य तय किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेड़ों की उम्र के हिसाब से उनका मूल्य तय होना चाहिए।

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वडोदरा में है 900 साल पुराना पेड़
बता दें कि वडोदरा के भायली और पादरा से 6 किमी की दूरी पर गणपतपुरा गांव में अफ्रीकन बाओबाब का 900 साल पुराना पेड़ है। इसका वैज्ञानिक नाम एंडेसोनिया डिजीटाटा है। यह गुजरात का सबसे बड़ा मना जाता है। (तस्वीर)

बता दें कि चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनवरी 2020 में समिति से पेड़ों का आर्थिक मूल्य तय करने को कहा था। पेड़ों की कीमत उनके द्वारा छोड़ी जाने वाली ऑक्सीजन और अन्य लाभों के आधार पर तय करना था। इस खंडपीठ में एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल थे। समिति ने पेड़ों का मूल्यांकन उनकी लकड़ी के साथ ही पर्यावरण में योगदान को देखकर किया। यानी एक पेड़ एक साल में आक्सीजन के आधार पर 45,000 रुपए, खाद के आधार पर 20,000 रुपए और लकड़ी के आधार पर 10,000 रुपए कीमत का होगा। यानी कुल कीमत 74500 रुपए।
 
बता दें कि पश्चिम बंगाल रेलवे ने ओवरब्रिज बनाने के लिए हेरिटेज पेड़ सहित 356 पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी। तब कमेटी ने बताया कि वो जिन पेड़ों को काटने की अनुमति मांग रही है, उनकी कीमत 2.2 अरब है। यानी यह प्रोजेक्ट की कीमत से भी अधिक है।

(पहली तस्वीर इलाहाबाद के पातालपुरी मंदिर के संगम के पास स्थित बरगद के पेड़ की है। किवदंती है कि इसके दर्शन करने राम भगवान आते थे। इसकी उम्र करीब 7000 साल मानी जाती है।)
 

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