चाय पे चर्चा: क्या आपने कभी NOON चाय पी है, जानिए क्यों लोकप्रिय हो रहा कश्मीर का ये स्पेशल पेय

अगर आप कभी कश्मीर घाटी के ऊपरी इलाकों में घूमने गए हों, तो नून चाय( Noon Chai) जरूर पी होगी। अगर नहीं पी; तो एक बार पीकर देखें। एक प्रकार की चाय नून चाय कश्मीर घाटी, चिनाब और पीर पंजाल क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में लोकप्रिय है। 

Amitabh Budholiya | Published : Jan 10, 2023 3:38 AM IST / Updated: Jan 10 2023, 09:09 AM IST

जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir). अगर आप कभी कश्मीर घाटी के ऊपरी इलाकों में घूमने गए हों, तो नून चाय( Noon Chai) जरूर पी होगी। अगर नहीं पी; तो एक बार पीकर देखें। एक प्रकार की चाय नून चाय कश्मीर घाटी, चिनाब और पीर पंजाल क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में लोकप्रिय है। यह वहां की दुकानों में आसानी से उपलब्ध है। लेकिन जम्मू की शीतकालीन राजधानी(winter capital) में यह कम मिलती है। जानिए आखिर ये है क्या?


जम्मू में अगर आप सबसे अच्छी नून चाय चाहते हैं, तो आपको पुराने शहर में रेजीडेंसी रोड के साथ मुख्य जामा मस्जिद तालाब खटेकन के आसपास की दुकानों पर जाना होगा। घाटी से ताल्लुक रखने वाले बशीर अहमद शाह ने डोगरा चौक से कुछ मीटर की दूरी पर महाराजा हरि सिंह पार्क के सामने एक रेस्तरां बनाया है। यहां आपको एक बड़ा सांवर, किडनी, लवासा, कश्मीरी रोटी और अन्य ठेठ कश्मीरी बेकरी व्यंजन मिलेंगे। दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय लोगों सहित घाटी के लोग यहां नून चाय की चुस्की लेते हैं।

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बशीर अहमद शाह के इस रेस्टोरेंट की खास बात यह है कि जो भी दुकान के पास पहुंचता है, उसका सबसे पहले चाय का टेस्ट होता है जो फ्री होता है। बशीर अहमद ने कहा, "अगर आपको यह पसंद है, तो इसे पी लें, अगर नहीं, तो वे मुस्कुराएंगे और कहेंगे, ठीक है।"

जम्मू में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है और महाराजा हरि सिंह पार्क के बाहर आपको बड़ी संख्या में वाहन चालक और अन्य लोग नून चाय पीते नजर आ जाएंगे।

बशीर ने कहा कि वह कई सालों से फरवरी से नवंबर के बीच जम्मू आ रहे हैं और यही धंधा कर रहे हैं, लेकिन पहली बार उन्होंने यहां राडी लगाई और यह काफी लोकप्रिय हुआ और यहां काफी संख्या में लोग आते हैं। उन्होंने कहा कि वे शुद्ध दूध और गुलाबी रंग का उपयोग कर चाय को बहुत स्वादिष्ट बनाने की कोशिश करते हैं। 


नून चाय केन्द्रीय एशिया और भारत के उत्तरी क्षेत्रों में, विशेषकर जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में बनने वाला एक पारम्परिक चाय का पेय है। इस चाय में हरी चाय के लपेटे हुए पत्ते, दूध और सोडियम बाईकार्बोनेट (खाने का सोडा) मिलाया जाता है। इस चाय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें शक्कर नहीं मिलाई जाती, बल्कि उसकी जगह पर नमक डाला जाता है। इसमें जब दूध डालते हैं, तो इसका रंग गाढ़ा होने के बजाय हल्का गुलाबी हो जाता है। बता दें कि कश्मीरी, राजस्थानी, बंगाली, नेपाली और कई अन्य भारतीय भाषाओं में नून का मतलब नमक होता है।

वैसे बता दें कि अब नून चाय का प्रचलन दिल्ली तक पहुंच चुका है। हर सर्दी में पुरानी दिल्लीकी जामा मस्जिद के आसपास के होटलों में नून चाय मिल जाती है। यहां कश्मीर से आकर सर्दियोंभर में डेरा जमाने वाले लोग इसके ठेले लगाते हैं। (सोर्स-ANI)

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