क्या ईशा फाउंडेशन ने जंगल की जमीन पर कब्जा किया, क्या इसकी इमारतें अवैध हैं....सद्गुरु ने किया झूठ का पर्दाफाश

ईशा के दुनिया भर में 1.1 करोड़ वालंटियर्स और एक बिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। ग्रुप्स से सच प्रकाशित करने की अपील के जवाब में अब फाउंडेशन की ओर से कुछ अफवाहों के खिलाफ फैक्ट पेश किए जा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : May 19, 2021 1:40 PM IST

चेन्नई. पिछले 25-30 सालों से कुछ छोटे और शातिर प्रेरित समूह, बिना किसी तथ्य के ईशा फाउंडेशन पर लगातार निशाना साध रहे हैं। आज फेक न्यूज और पेड न्यूज और सोशल मीडिया के साथ ये समूह झूठ के सहारे फाउंडेशन को बदनाम करने की कोशिश में जुटे हैं। फाउंडेशन के खिलाफ अभी तक किसी सरकारी निकाय द्वारा केस दायर नहीं किया गया है, इसके बावजूद ये ग्रुप बार-बार फाउंडेशन को विवादों और बुरे दबाव में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं। 

कोरोना महामारी के बीच ऐसे ही कुछ ग्रुप ने यह अफवाह फैलाने की कोशिश की है कि ईशा योग केंद्र वायरस का केंद्र रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि यहां कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया है। 

ईशा के दुनिया भर में 1.1 करोड़ वालंटियर्स और एक बिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। ग्रुप्स से सच प्रकाशित करने की अपील के जवाब में अब फाउंडेशन की ओर से कुछ अफवाहों के खिलाफ फैक्ट पेश किए जा रहे हैं।

FICTIONS- ईशा फाउंडेशन ने जंगल की जमीन पर कब्जा किया।  

FACTS जहां ईशा फाउंडेशन बना है, उस जमीन पर 100% पट्टा प्राइवेट तौर पर व्यक्ति से खरीदा गया है। इसके साथ ही तमिलनाडु वन विभाग ने भी इसपर मुहर लगाई है। साथ ही यह भी पुष्टि की है कि ईशा योग केंद्र ने वन भूमि का उल्लंघन नहीं किया है और आसपास के वनस्पतियों और जीवों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। 

FICTIONS- ईशा फाउंडेशन एलिफेंट कॉरिडोर पर बना है।

FACTS - एलिफेंट कॉरिडोर 100 मीटर से 1 किमी की चौड़ाई वाली भूमि की संकरी पट्टियां होती हैं। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट गजाह में कॉरिडोर की लिस्ट जारी की है। इनमें से ईशा फाउंडेशन किसी भी एलिफेंट कॉरिडोर पर स्थित नहीं है

FICTIONS-  112-फीट आदियोगी एक और ध्यान आकर्षित करने वाली मूर्ति है, यह ईशा फाउंडेशन के अहंकार का प्रतीक है। 

FACTS - आदियोगी दुनिया के सामने एक प्रतीक के रूप में पेश हुए हैं, जो मानवता को मानव कल्याण के अस्पष्ट और विभाजनकारी तरीकों से वैज्ञानिक और व्यवस्थित दृष्टिकोण की ओर ले जाने के लिए एक प्रेरणा है। विचारधाराओं, विश्वास प्रणालियों और दर्शन ने मानवता को हमेशा के लिए विभाजित कर दिया है, जिससे युद्ध और नरसंहार हुआ है। यह अनिवार्य रूप से मानवता को धर्म से जिम्मेदारी की ओर ले जाने का एक मिशन है।

FICTIONS : आदियोगी प्रतिमा की स्थापना के लिए ईशा फाउंडेशन ने जंगल को नुकसान पहुंचाया

FACTS-  बाकी योग केंद्र की तरह, आदियोगी प्रतिमा स्थापित करने के लिए खरीदी गई भूमि निजी स्वामित्व वाली भूमि है। आरक्षित वन भूमि निजी भूमि की सीमा के पास कहीं नहीं है। आदियोगी प्रतिमा की स्थापना के लिए जिला वन अधिकारी ने एनओसी भी जारी किया है। फाउंडेशन को जिला कलेक्टर, कोयंबटूर, वन विभाग और बीएसएनएल समेत अन्य आवश्यक अधिकारियों से भी अनुमति मिली है।

FICTIONS : ईशा केंद्र के अंदर की इमारतें अवैध हैं

FACTS-  शुरुआत में योग केंद्र के भवनों की योजना बनाते समय, हमने मानक प्रक्रिया के रूप में आवेदन किया और पंचायत अनुमति ली। वन विभाग को छोड़कर अन्य सभी एनओसी मिलीं। वन विभाग से एनओसी से हमने कई बार अपील की, लेकिन कुछ व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण अधिकारियों से कोई जवाब नहीं मिला। 
बाद में तमिलनाडु वन विभाग की एक उच्च स्तरीय समिति ने विशेष अधिकारी की झूठी रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जो दुर्भावनापूर्ण इरादे से बनाई गई थी। वन विभाग ने बाद में एनओसी जारी की।

FICTIONS - 2016 में दो साधुओं को बंधक बनाया गया

FACTS- यह सरासर झूठ था। याचिका निहित स्वार्थों के चलते लगाई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दो युवतियों का अपहरण कर लिया गया और उनकी इच्छा के विरुद्ध योग केंद्र में रखा गया।

FICTIONS -ईशा में चुराई गईं लोगों की किडनी

FACTS- हम उम्मीद करते हैं कि ये बेहूदा लोग जानते हैं कि किडनी क्या होती है, शरीर में कहां स्थित होती है। लगता है किसी ने उनका दिमाग चुरा लिया है। 

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