ISRO के 100वें मिशन को झटका, NavIC सैटेलाइट में खराबी

इसरो का 100वां रॉकेट मिशन, NVS-02 सैटेलाइट, तकनीकी खराबी के चलते मुश्किल में है। सैटेलाइट को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका, जिससे NavIC नेविगेशन सिस्टम प्रभावित हो रहा है।

ISRO 100th Rocket Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की 100वीं रॉकेट मिशन को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को लॉन्च किया गया नेविगेशन सैटेलाइट NVS-02 रविवार को तकनीकी खामी (Technical Glitch) का शिकार हो गया। तकनीकी गड़बड़ी की वजह से सैटेलाइट को उसकी निर्धारित ऑर्बिट में स्थापित करने में दिक्कतें आ रही हैं जिससे पूरा मिशन प्रभावित हो रहा।

ऑर्बिट रेजिंग ऑपरेशन में बाधा, क्या है अन्य विकल्प?

ISRO ने अपने अपडेट में बताया कि ऑर्बिट रेजिंग ऑपरेशन (Orbit Raising Operation) के दौरान वह सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (Geostationary Orbit) में पहुंचाने में सफल नहीं हो पाया। ऑर्बिट बढ़ाने के लिए इंजन को फायर करने हेतु ऑक्सिडाइज़र वॉल्व नहीं खुल सके। हालांकि, सैटेलाइट के सभी सिस्टम सामान्य हैं और यह फिलहाल एक अंडाकार कक्षा (Elliptical Orbit) में मौजूद है। अब वैज्ञानिक इस सैटेलाइट का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक रणनीति पर काम कर रहे हैं।

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NVS-02 मिशन: नेविगेशन सिस्टम NavIC का अहम हिस्सा

U R राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा निर्मित NVS-02 सैटेलाइट भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम NavIC (Navigation with Indian Constellation) का हिस्सा है। इसे अमेरिकी GPS का भारतीय संस्करण कहा जाता है। यह प्रणाली सैन्य और नागरिक उपयोग के लिए सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करने के लिए विकसित की गई थी।

ISRO की 100वीं रॉकेट मिशन और नई चुनौती

बुधवार सुबह 6:23 बजे, श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से ISRO ने GSLV-F15 रॉकेट के जरिए NVS-02 का सफल प्रक्षेपण किया था। यह इसरो का 109वीं रॉकेट मिशन था। हालांकि, यह ISRO के नए अध्यक्ष वी. नारायणन (V. Narayanan) के कार्यकाल का पहला मिशन था और 2025 का पहला लॉन्च भी था। लेकिन अब सैटेलाइट के इंजन में आई खराबी के कारण इसे अपनी तय कक्षा में पहुंचाना मुश्किल हो सकता है।

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NavIC सिस्टम में लगातार चुनौतियां, पहले भी कई सैटेलाइट फेल

NavIC सिस्टम को 1999 कारगिल युद्ध (Kargil War) के बाद भारत ने विकसित किया था। उस समय भारत को हाईक्वालिटी वाले GPS डेटा से वंचित कर दिया गया था। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम बनाने का संकल्प लिया था।

NavIC मिशन लगातार तकनीकी चुनौतियों से जूझता रहा है। 2013 से अब तक कुल 11 सैटेलाइट लॉन्च किए गए लेकिन इनमें से 6 पूरी तरह या आंशिक रूप से फेल हो चुके हैं। अब NVS-02 भी उसी संकट का सामना कर रहा है।

क्या होगा अब?

अंतरिक्ष विशेषज्ञों के मुताबिक, सैटेलाइट की मौजूदा एलिप्टिकल आर्बिट (170km - 36,577km) में होने से यह अपने मूल कार्यों को प्रभावी ढंग से नहीं कर पाएगा। हालांकि, ISRO वैज्ञानिक इसे किसी वैकल्पिक उपयोग के लिए तैयार करने की रणनीति बना रहे हैं।

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