Exclusive: क्या है नैविक तकनीक, जो भारतीय सेनाओं को भी बनाएगा अल्ट्रा मॉडर्न

ISRO ने चंद्रयान 3 मिशन के दौरान एक ऐसी तकनीक ईजाद की है, जो आने वाले दिनों में भारतीय सेनाओं का भी हिस्सा बनने वाला है। यह कुछ और नहीं बल्कि नैविक तकनीक है।

 

Exclusive Interview.  चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत का पूरे विश्व में डंका बज रहा है। इस बड़ी उपलब्धि के बाद इसरो कई और प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। इन्हीं बातों को लेकर एशियानेेट न्यूज नेटवर्क ने इसरो चेयरमैन से विशेष बातचीत की है। चंद्रयान-3 मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से ISRO सेंटर में विस्तार बातचीत की। इस दौरान वो चीजें निकलकर आईं, जिनके बारे में लोगों को अब तक नहीं पता था।

कैसे सेनाओं को अल्ट्रा मॉडर्न बनाएगा नैविक सिस्टम

Latest Videos

एस सोमनाथ ने कहा कि नैविक सिस्टम का स्ट्रैटजिक परपज होता है। जैसे जीपीएस सिस्टम में कोई गड़बड़ी हो जाए तो नैविक काम करे। जीपीएस कम दायरे तक ही सटीक जानकारी देता है और हमने जो नैविक तैयार किया है, वह करीब 3 मीटर तक सटीम लोकेशन देगा। सीडीएस भी इस तकनीक से काफी प्रभावित हैं और हमने कई मीटिंग्स की हैं। इसलिए कि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के वेपंस में जीपीएस की जगह नैविक का इस्तेमाल किया जाए। यह बहुत प्रभावी कदम है और जल्द ही यह प्रोसेस पूरा होगा। दूसरा यह कि हमने किसी तरह की ऐसी क्षमता विकसित कर ली है तो इसका लाभ सिविलियंस को भी मिलना चाहिए। हमने जबसे यह नैविक बनाया है, तब से इसे डेवलपमेंट कर रहे हैं। आने वाले दिनों में रेलवे ट्रैकिंग सहित मोबाइल आदि में भी यूज किया जा सकेगा। हमारा एल1 बैंड ज्यादा पॉपुलर है।

स्पेस प्रोग्राम का कमर्शिल परपज कितना सफल

स्पेस प्रोग्राम को कमर्शियलाइज करना थोड़ा अलग प्रोग्राम है। सैटेलाइट लांचिंग और कमर्शियल परपज से ऐसा करना, जैसा कि दूसरे देश करते हैं, दोनों अलग चीजें हैं। कमर्शियल एजेंसी जैसे टाइटन, डेल्टा हैं लेकिन वे कभी सफल नहीं हुए। ये कमर्शियल वेंचर्स हैं लेकिन वे पूरी तरह से गवर्नमेंट और स्ट्रैटजी पर ही निर्भर रहते हैं। अब स्पेस एक्स है, जो हाल ही में लांच किया गया, इसे सफलता भी मिली है। लेकिन जहां तक मैं समझता हूं यह किसी भी तरह से बहुत प्रॉफिटेबल बिजनेस जैसा नहीं है। आप समझ सकते हैं कि सैटेलाइट आदि को लांच करना देश के लिए होता है और यह पूरी तरह से सरकार पर निर्भर करता है। इससे नेशनल इंट्रेस्ट प्रोटेक्ट होता है।

इसरो का चंद्रयान 3 मिशन

14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 मिशन देश के सबसे भारी रॉकेट GSLV लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) से लॉन्च किया गया।

- करीब 42 दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इस दौरान PM मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से वचुर्अल माध्यम के जरिए ISRO से जुड़े और पूरी प्रॉसेस देखी।

- इसके बाद विक्रम लैंडर के साथ गए प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर घूमकर पेलोड्स के जरिए नई जगहों की जांच-पड़ताल की।

- चांद की तस्वीरें भेजने और जांच-पड़ताल के बाद इसरो ने 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाला।

- हालांकि, 22 सितंबर को चांद पर एक बार फिर सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद लैंडर और रोवर के दोबारा एक्टिव होने का इंतजार है।

- बता दें कि भारत का चंद्रयान-3 मिशन दुनिया का सबसे सस्ता मून मिशन है। इस पर महज 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

WATCH इसरो चीफ एस. सोमनाथ का सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

 

 

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
सचिन तेंदुलकर ने बॉलिंग करती लड़की का वीडियो शेयर किया, बताया भविष्य का जहीर खान #shorts
जयपुर अग्निकांड: एक दिन बाद भी नहीं थमा मौत का सिलसिला, मुर्दाघर में लग रही भीड़