चांद के सफर पर भारत, चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च, दुनिया ने देखी ताकत

भारत के इसरो ने चंद्रयान -2 मिशन सोमवार को दोपहर 2.43 मिनट पर लॉन्च कर दिया है। 

चेन्नई. अंतरिक्ष में भारत ने दुनिया के सामने के एक बार फिर इतिहास रच दिया है। ISRO ने सोमवार को 2.43 मिनट पर चंद्रयान -2 की सफलतापूर्वक लांचिंग कर दी है। हिंदुस्तान का चांद पर दूसरा सबसे बड़ा मिशन है। लॉन्चिंग के बाद वैज्ञानिकों ने तालियां बजाकर मिशन का स्वागत किया। इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने स्पेस सेंटर से इसका ऐलान किया। उन्होंने इस दौरान कहा- वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत से मिशन सफल हुआ है। 

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15 जुलाई को किया जाना था लॉन्च

चंद्रयान-2 को लेकर जीएसएलवी-एमके-3 रॉकेट 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे उड़ान भरने वाला था। लेकिन तकनीकी खराबी के कारण तय समय से 1 घंटा पहले ही रॉकेट के उड़ान को रोक दिया गया था। इसकी जानकारी इसरो ने ट्वीट कर दी थी कि "तकनीकी गड़बड़ी के कारण 15 जुलाई 2019 को रोका गया चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण अब भारतीय समय के अनुसार सोमवार, 22 जुलाई, 2019 को दोपहर 2.43 बजे लॉन्च किया जाएगा।" 

ये है मिशन का उद्देश्य 

मिशन चंद्रयान-2 को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य पानी की खोज करना है, जिसके लिए चंद्रमा की सतही जानकारी जुटाना है। अंतरिक्ष यान लैंडिंग के बाद उसमें लगे उपकरण अहम जानकारी इकट्ठा करके उसे इसरो तक भेजेंगे। 

चार मुख्य उपकरण जो जुटाएंगे जानकारी 

ऑर्बिटर

चंद्रयान का पहला मॉड्यूल ऑर्बिटर है। ये चांद की सतह की जानकारी जुटाएगा। ये पृथ्वी और लैंडर (जिसका नाम विक्रम रखा गया है) के बीच कम्युनिकेशन बनाने का काम करेगा। करीबन एक साल तक ये चांद की कक्षा में काम करेगा। इसमें करीबन 8 पेलोड भेजे जा रहे हैं। इसका कुल 2,379 किलो है। 

लैंडर

इसरो का ये पहला मिशन होगा जब इसमें लैंडर भेजा जाएगा। इसका नाम विक्रम रखा गया है। यह नाम वैज्ञानिक विक्रम साराभाई पर रखा गया है। विक्रम चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।  लैंडर के साथ 3 पेलोड भेजे जा रहे हैं। यह चांद की सतह पर इलेक्ट्रॉन डेंसिटी, तापमान और सतह के नीचे होने वाली हलचल गति और तीव्रता की जानकारी जुटाएगा। इसका वजन 1,471 किलो है।  

रोवर

रोवर लैंडर के अंदर ही होगा। इसका नाम प्रज्ञान रखा गया है। यह हर एक सेकेंड में 1 सेंटीमीटर बाहर निकलेगा। इसे बाहर निकलने में करीबन 4 घंटे लगेंगे। चांद की सतह पर उतरने के बाद ये 500 मीटर तक चलेगा। ये 14 दिन तक काम करेगा। इसके साथ दो पेलोड भेजे जा रहे हैं। इसका उद्देश्य चांद की मिट्टी और चट्टानों की जानकारी जुटाना है। इसका वजन 27 किलो है।  

 2009 से चांद पर पानी की खोज में लगा है इसरो

दरअसल, जब 2009 में चंद्रयान-1 मिशन भेजा गया था, तो भारत को पानी के अणुओं की मौजूदगी की अहम जानकारी मिली थी। जिसके बाद से भारत ने चंद्रमा पर पानी की खोज जारी रखी है। इसरो के मुताबिक, चांद पर पानी की मौजूदगी से यहां मनुष्य के अस्तित्व की संभावना बन सकती है।

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