Jagannath Rath Yatra 2025: 27 जून को शुरू होगी रथ यात्रा, जानें भीड़ संभालने को कैसी है तैयारी

Published : Jun 26, 2025, 02:37 PM IST
Jagannath Rath Yatra 2025

सार

27 जून से शुरू हो रही पुरी जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, मॉक ड्रिल भी हुई।

Jagannath Rath Yatra 2025: ओडिशा के पुरी में 27 जून को विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होगी। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। रथ यात्रा में देश-विदेश से लाखों लोग जुटते हैं। भीड़ मैनेज करने के लिए पुलिस खास इंतजाम कर रही है।

पुणे के ADG (Additional Director General) ट्रैफिक दयाल गंगवार ने ट्रैफिक कंट्रोल की तैयारियों के बारे में कहा, "हम 21 पार्किंग स्थल बना रहे हैं। पांच स्थानों पर 'होल्डिंग एरिया' की व्यवस्था कर रहे हैं। यहां भारी भीड़ के दौरान लोगों को खड़ा किया जाएगा। पार्किंग स्थल मुख्य रूप से 3 प्रमुख स्थानों पर बनाए गए हैं। इस बार हम ऐप का भी इस्तेमाल करेंगे। इससे लोगों को ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी।"

पुरी के एसपी विनीत अग्रवाल ने बताया कि जगन्नाथ मंदिर के पास आपातकालीन स्थितियों से निपटने में सुरक्षा बलों की तत्परता जांचने के लिए मल्टी-एजेंसी मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी। आतंकवाद विरोधी इस अभ्यास में 11 एजेंसियों ने भाग लिया।

जगन्नाथ मंदिर रथयात्रा में क्या होता है?

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में हर साल रथोत्सव का आयोजन होता है। भगवान बलभद्र, भगवान जगन्नाथ और देवी सुभद्रा के तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं। उत्सव के दौरान तीन देवताओं को भक्तों द्वारा तीन विशाल लकड़ी के रथों में सवार किया जाता है। उन्हें गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यहां वे एक सप्ताह तक रहते हैं और फिर जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं।

पुरी रथ यात्रा 2025: दिन और समय

पुरी रथ यात्रा 2025 की शुरुआत 27 जून 2025 को होगी। द्वितीया तिथि का प्रारंभ 26 जून 2025 को दोपहर 1:24 बजे से होगा। इसका समापन 27 जून 2025 को सुबह 11:19 बजे होगा। 9 दिन तक चलने वाले इस उत्सव का समापन 5 जुलाई 2025 को नीलाद्रि बिजय के साथ होगा।

क्या है जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व?

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 12वीं और 16वीं शताब्दी के बीच हुई थी। कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह त्यौहार भगवान कृष्ण के अपने माता-पिता के घर जाने की याद में मनाया जाता है। वहीं, कुछ लोग इसे राजा इंद्रद्युम्न की कथा से जोड़ते हैं। यह उत्सव ओडिशा के गजपति राजवंश के शासनकाल के दौरान प्रमुखता से उभरा और तब से भक्ति और सांस्कृतिक पहचान का एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया है। 9 दिवसीय यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक 3 किलोमीटर की पवित्र यात्रा पर निकलते हैं।

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