
Vice Presidential Election: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है। अब अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है। आइए जानते हैं उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है। कौन से लोग वोट डाल सकते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य वोट डाल सकते हैं। चुनाव में राज्यसभा के 233 निर्वाचित और 12 मनोनीत सांसद वोट डाल सकते हैं। वहीं, लोकसभा के 543 सांसद वोट डाल सकते हैं। कुल वोटर की संख्या 788 हुई। इतने वोटर तब होंगे जब सभी सीट भरे हों। चुनाव आयोग उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान करेगा। इसके साथ ही लोकसभा और राज्यसभा के मौजूदा सदस्य की गिनती करेगा। मौजूदा सदस्यों की संख्या से कुल निर्वाचक मंडल तैयार होगा।
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होता है। उपराष्ट्रपति पद के लिए कई उम्मीदवार मैदान में होते हैं। सांसद गुप्त मतदान करते हैं। वे उम्मीदवारों को वरियता के अनुसार मत देते हैं। इसका मतलब है कि वोटर बता सकता है कि उसकी पहली पसंद कौन और दूसरी, तीसरी, चौथी... पसंद कौन उम्मीदवार है। वोटर प्रत्याशी के आगे अपनी प्राथमिकता नंबर लिखता है। जैसे अगर कोई सबसे अधिक पसंद है तो 1, इसी तरह दूसरे के लिए 2, तीसरे से लिए 3। वोटर वरीयता सिर्फ रोमन अंक में लिख सकते हैं। पेन चुनाव आयोग देता है।
सबसे पहले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को गिना जाता है। सभी उम्मीदवारों को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाता है। कुल संख्या को 2 से भाग देकर भागफल में एक जोड़ा जाता है। जो संख्या मिलती है उसे कोटा कहा जाता है।
वोटों की गिनती में अगर कोई उम्मीदवार कोटे के बराबर या अधिक वोट पा ले तो उसे विजयी घोषित कर देते हैं। ऐसा नहीं होने पर सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर करते हैं और गिनती की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। चुनावी रेस से निकाले गए प्रत्याशी को मिली पहली प्राथमिकता वाले वोट में यह देखा जाता है कि वोटर ने दूसरी प्राथमिकता किसे दी है। दूसरी प्राथमिकता जिस उम्मीदवार को दी गई हो उसे वह वोट ट्रांसफर किया जाता है। ऐसा करने से अगर उम्मीदवार कोटा अंक प्राप्त कर ले तो वह जीत जाता है। दूसरे राउंड में भी नतीजा नहीं निकलने पर यह प्रक्रिया आगे जारी रहती है जब तक रिजल्ट नहीं आए।
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