ये तस्वीरें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा की जीरो लाइन( Zero line of International Border) की हैं। जिस जगह पर 20 साल पहले तक खड़े रहना भी जोखिम भरा हो सकता था, वहां अब फसलें लहलहा रही हैं। बॉर्डर के गांवों में रहने वाले किसानों की मदद के लिए सेना के साथ जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारी पूरी मदद कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर. ये तस्वीरें जम्मू-कश्मीर के कठुआ के चंद्र चाक गांव में अंतरराष्ट्रीय सीमा की जीरो लाइन( Zero line of International Border) की हैं। यहां के खेतों में इस समय फसल खड़ी हैं। हालांकि इस जगह पर 20 साल पहले तक खड़े रहना भी जोखिम भरा हो सकता था। कब दुश्मन हमला कर दे, गोलियां दाग दे, कुछ भी नहीं कहा जा सकता था। लेकिन जब से किसानों को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल(BSF) ने उठाई है, तब से यहां फसलें लहलहा रही हैं। बॉर्डर के गांवों में रहने वाले किसानों की मदद के लिए सेना के साथ जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारी पूरी मदद कर रहे हैं।
पिछले साल से शुरू हुई खेतीबाड़ी
कठुआ के किसानों ने वर्षों यहां खेती-किसानी नहीं की, क्योंकि पाकिस्तानी सेना अकसर सीज फायर का उल्लंघन करके गोलीबारी कर देती थी। इस डर से किसानों ने खेतों में जाना ही छोड़ दिया था। फिर कठुआ से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने का काम शुरू हुआ। इसके बाद BSF की सुरक्षा में पिछले साल से किसानों ने फिर खेतों की ओर रुख किया। यानी यहां खेती पिछले 20 सालों से बंद थी। इस बार यहां के खेतों में शानदार फसल उगी है।
बीज-खाद आदि मुफ्त में मिलते हैं
अनुमंडल कृषि अधिकारी (SDAO) आरके गुप्ता ने ANI को बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन(National Food Security Mission) लागू किया गया है। हम किसानों को बीज, जुताई, खाद, खरपतवारनाशी(seeds, ploughing, fertilizers) मुफ्त उपलब्ध कराते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा-''हमने किसानों की कड़ी मेहनत और बीएसएफ की मदद से 56.4 हेक्टेयर भूमि पर खेती की है। मैं सरकार का शुक्रगुजार हूं। भविष्य में हम जीरो लाइन के 5 किमी क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी में कृषि मशीनरी के साथ 100 ट्रैक्टर देंगे।''
पाकिस्तान के आतंक से सूने हो गए थे खेत
यहां किसान समय-समय पर मीडिया को बताते आए हैं कि पाकिस्तानी सेना बेवजह गोलीबारी कर देती थी। इस डर से किसानों ने खेती-किसानी बंद कर दी थी। लेकिन सरकार ने BSF की सुरक्षा देकर उन्हें प्रोत्साहित किया। अब बिना डरे वे फिर से खेती करने लगे हैं। BSF भी ऐसे बहादुर किसानो पर गर्व करता है। साथ ही कृषि विभाग की तारीफ करता है।
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