सार

ऑर्टिफिशयल इंटेलिजेंस(artificial intelligence) की दुनिया में रोबोट किसी चमत्कार से कम नहीं है। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में रोबोट स्कूलों में काफी मददगार साबित हो रहा है। बेंगलुरु के एक स्कूल में ईगल रोबोट(Eagle robot) का प्रदर्शन किया गया। यह टीचिंग के दौरान टीचर्स और स्टूडेंट्स के सवालों-सवालों में मदद कर रहा है।

बेंगलुरु.ऑर्टिफिशयल इंटेलिजेंस(artificial intelligence) ने दुनिया बदलकर रख दी है। रोबोट किसी चमत्कार से कम नहीं है। अब कर्नाटक को ही देख लीजिए। यहां की राजधानी बेंगलुरु में रोबोट स्कूलों में काफी मददगार साबित हो रहा है। बेंगलुरु के एक स्कूल में ईगल रोबोट(Eagle robot) का प्रदर्शन किया गया। यह टीचिंग के दौरान टीचर्स और स्टूडेंट्स के सवालों-सवालों में मदद कर रहा है। (क्लिक करके देखें वीडियो)

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टीचर हों या स्टूडेंट्स, दोनों को हेल्प कर रहा रोबोट
बुधवार को यहां के गवर्नमेंट गर्ल्स हाईस्कूल, 13 वीं एवेन्यू, मल्लेश्वरम(Government High School for Girls,13th Avenue, Malleshwaram) में रोबोट का प्रदर्शन(test demonstration) किया गया। इस मौके पर राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.सीएन(Dr.CN) मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन अश्वत्थनारायण के नेतृत्व में किया गया। इस मौके पर ईगल नामक इस रोबोट ने टीचर्स और स्टूडेंट्स के बीच एक कड़ी बनकर कई ऐसे सवालों के जवाब दिए, जिनको लेकर दोनों कन्फ्यूज हो रहे थे। रोबोट के प्रदर्शन के बाद अश्वत्थनारायण(Ashwatthanarayana) ने कहा कि यह एक प्रायोगिक कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में विश्वस्तरीय शिक्षण के लिए ऐसे रोबोट का होना अच्छी पहल साबित होगा। हालांकि रोबोट शिक्षकों का विकल्प नहीं हैं। लेकिन ये टीचिंग में मददगार होंगे।इससे छात्रों के सीखने का स्तर भी बढ़ेगा।

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मुख्यमंत्री भी मिलेंगे ईगल रोबोट से
बहुत जल्द मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई(Chief Minister Basavaraj Bommai) से भी 'ईगल' रोबोट को मिलवाया जाए। बता दें कि मल्लेश्वरम निर्वाचन क्षेत्र के सरकारी शिक्षण संस्थानों में रोबोट की मदद से टीचिंग वर्क कराने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

2019 में सामने आया था ईगल रोबोट
बता दें कि ईगल रोबोट 2019 में पहली बार सबके सामन आया था। ईगल 2.0 को बेंगलुरु के एक स्कूल में नियुक्त किया गया था। ईगल 2.0 नाम के इस रोबॉट को 17 सदस्यों की एक टीम ने बनाया है। इसकी लागत करीब 8 लाख रुपये बताई जाती है। यह सबसे पहले बेंगलुरु के इंडस इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 7, 8 और 9 के छात्रों को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, भूगोल और इतिहास पढ़ाने के लिए बतौर असिस्टेंट टीचर तैनात किया गया।

कई जगह काम कर रहे रोबोट
सांस्कृतिक शहर मैसूर के सिद्धार्थ होटल में पहली महिला रोबोट को तैनात किया जा चुका है। यह ग्राहकों को फूड सर्व करती है। करीब 2.5 लाख रुपये की लागत वाला यह रोबोट बैटरी से चलता है। एक बार चार्ज करने पर 8 घंटे तक काम कर सकता है। सिद्धार्थ होटल के मालिक पीवी गिरि ने बताया-कोरोना के दौरान हमारे होटल में सर्व करने वालों की कमी थी। हमने अपने ग्राहकों को बेहतर सेवा देने के लिए एक नया प्रयास किया है। अब हमारे होटल में बड़ी संख्या में ग्राहक आ रहे हैं। दिल्ली से एक और रोबोट लाया गया है। हम छह और रोबोट लाएंगे।

यह भी जानें
हाल में आईआईटी बॉम्बे के केंद्रीय विद्यालय में कंप्यूटर साइंस के टीचर ने एक अनूठा रोबोट बनाया है। यह 9 स्थानीय भाषाएं और 38 विदेशी भाषाएं बोलने में सक्षम है। टीचर दिनेश पटेल ने रोबोट का नाम शालू रखा है। शालू हिंदी, मराठी, भोजपुरी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, मलयालम भाषाएं बोल सकता है।

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देखें रोबोट की क्लास का वीडियो

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