हम कहीं भी रहे हो, जिंदा थे.. अनुज्ञा ने रोते हुए बताया, जामिया में कैसे घुसी पुलिस और क्या किया

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया के छात्रों ने रविवार को विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शन उग्र हो गया। आरोप है कि पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को मारा और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस बीच झारखंड के रांची की रहने वाली अनुज्ञा (छात्रा) ने बताया कि किस तरह से पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्र-छात्राओं को मारा।

Asianet News Hindi | Published : Dec 16, 2019 9:25 AM IST / Updated: Dec 16 2019, 05:31 PM IST

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया के छात्रों ने रविवार को विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शन उग्र हो गया। आरोप है कि पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को मारा और आंसू गैस के गोले छोड़े। इस बीच झारखंड के रांची की रहने वाली अनुज्ञा (छात्रा) ने बताया कि किस तरह से पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसकर छात्र-छात्राओं को मारा।

"कहीं भी रहे हो, जिंदा थे"
छात्रा ने कहा कि हम कहीं भी रहे हो, जिंदा थे। आपकी मोदी और बीजेपी सरकार से बहुत दूर। ये जो किया है न इन लोगों ने, मेरा घर खराब कर दिया। जब आपके घर जलेंगे न, तब आपको पता चलेगा।

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"मैं क्या पढ़ू संविधान, कुछ बचा है यहां"
मैं स्टूडेंट हूं यहां पर। मैं लॉ पढ़ती हूं। मेरा एग्जाम होना था। उसकी तो... अब क्या पढ़ूं मैं जाकर संविधान। कुछ बचा है। गर्ल्स हॉस्टल में घुस गए, ब्वॉज हॉस्टल में घुस गए। 

"मेरे दोस्तों के हाथ पैर टूट चुके हैं"
बच्चे बचने के लिए भाग रहे हैं। कोई फर्क ही नहीं पड़ता। मेरे दोस्त मर गए। यहां हाथ पैर टूट चुके हैं लोगों के। रो रहे हैं। रात भर मेरे दोस्त रोए हैं। रात भर हॉस्टल की लड़कियां रोई हैं। अभी अभी यूनिवर्सिटी देखा अपना। मुझसे रहा नहीं गया। 

"हम अपने लोकल गार्जियन के यहां भाग गए"
आपने कैसे बचाया उन्हें। इस सवाल पर छात्रा ने कहा कि हम भाग गए वहां से। अपने लोकल गार्जियन के घर पर गए। 

"आप के साथ कुछ हो जाए, आप निकल जाओ यहां से"
जब छात्रा से पूछा गया कि आप कहां थीं। आप उस वक्त हॉस्टल में थीं, तब छात्रा ने कहा कि मैं वहां नहीं थी। आज यूनिवर्सिटी गई तो हर एक यही कह रहा है कि जल्द से जल्द यहां से निकल जाओ। इससे पहले की आपके साथ कुछ हो जाए। 

"शिक्षा सिर्फ मशीन चलाने के लिए नहीं मिलती"
अनुज्ञा ने बताया कि मैं अब घर जा रही हूं। एजुकेशन क्या , सिर्फ मशीन चलाने के लिए मिलती है, या इसलिए भी मिलती है कि हमारे साथ गलत हो तो उसके खिलाफ खड़े हो। 

"मैं मुस्लिम नहीं, फिर भी फ्रंट में खड़ी हूं"
मैं तो मुस्लिम भी नहीं हूं, अंकल, फिर भी डे वन से फ्रंट लाइन में खड़ी हूं। क्यों। क्योंकि मेरे घरवालों के साथ कर रहे हैं न। इसलिए। 

"कुछ भी हो जाए, हॉस्टल मत आना"
मैं हॉस्टल में नहीं थी। हॉस्टल में आने से सबको मना कर दिया गया था कि कुछ भी हो जाए, हॉस्टल मत आना। यूनिवर्सिटी के आस पास आने से मना कर दिया गया था।

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