Article 370 Abrogation के 6 साल बाद कितना बदला जम्मू कश्मीर, निवेश से पर्यटन तक, क्या है स्थिति?

Published : Aug 05, 2025, 11:33 AM ISTUpdated : Aug 05, 2025, 11:42 AM IST
Lal Chauk

सार

Article 370 Abrogation: 5 अगस्त 2019 को कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद शांति-विकास की उम्मीदें बढ़ीं, लेकिन 2025 पहलगाम हमले ने चुनौती दी। आतंकवाद घटा, निवेश-पर्यटन बढ़े, पर सुरक्षा चिंता अब भी बरकरार है। 

Article 370 Abrogation: 5 अगस्त जम्मू-कश्मीर के लिए खास दिन है। 2019 में इसी दिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटा गया। इस फैसले को एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा गया जो शांति और विकास की शुरुआत करेगा। कश्मीर घाटी के शेष भारत के साथ जुड़ने का रास्ता बनाएगा। आइए जानते हैं छह सालों में यहां क्या बदला है।

राजनीति: प्रतिनिधित्व की वापसी, घट गए अधिकार

जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त के बाद केंद्र के रोडमैप में लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व की वापसी को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना गया। केंद्र शासित प्रदेश बनने से जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकार घट गए हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार इस समय है। चुनाव से ठीक पहले, पुलिस और सेवाओं पर नियंत्रण उपराज्यपाल को दे दिया गया, इससे निर्वाचित सरकार के अधिकार सीमित हो गए। जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग हो रही है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मंत्रिमंडल का पहला फैसला राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव था।

सुरक्षा: पहलगाम हमले ने तोड़ दिया भ्रम

5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि इससे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगेगी। सुरक्षा बढ़ाने और आतंकियों के सपोर्ट सिस्टम पर अटैक करने से छह साल में आतंकी घटनाएं कम हुईं हैं। 2025 में अब तक 28 आतंकवादी मारे गए हैं। 2024 में 67 आतंकी मारे गए थे। स्थानीय भर्ती 2019 में 129 से घटकर इस साल केवल 1 रह गई है। 2024 में 28 नागरिक मारे गए थे। 2025 में दर्ज की गई सभी 26 मौतें एक ही घटना पहलगाम आतंकी हमला में हुईं।

पत्थरबाजी, बंद, अपहरण और हथियार छीनने की घटनाएं शून्य हो गई हैं। हालांकि, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले ने भ्रम तोड़ दिया है। इसने स्थिति सामान्य होने के नैरेटिव को खत्म कर दिया और सुरक्षा तैयारियों खासकर खुले पर्यटन क्षेत्रों में खामियों को उजागर कर दिया। इन हमलों के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और पाकिस्तान में अंदर तक आतंकी ठिकानों को तबाह किया। सुरक्षा बलों ने पहलगाम हमले में शामिल सभी तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया।

अर्थव्यवस्था: निवेश में वृद्धि, मुख्य चुनौतियां बनी हुई हैं

जम्मू-कश्मीर में निवेश बढ़ाने के लिए केंद्र ने 2021 में एक नई औद्योगिक योजना शुरू की। जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित निवेश अब कुल 1.63 लाख करोड़ रुपए का है। इनमें से 50,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। 359 औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू हो चुका है। 1,424 इकाइयां पूरी होने के अंतिम चरण में हैं। सरकार का कहना है कि 2024-25 में निवेश प्राप्ति 2020 से पहले की अवधि से 10 गुना अधिक होगी।

राजस्व: जम्मू-कश्मीर में कर राजस्व में तेज वृद्धि देखी गई है। जीएसटी संग्रह 12% बढ़ा है। उत्पाद शुल्क में 39% की वृद्धि हुई। 2022 और 2024 के बीच समग्र गैर-कर राजस्व में 25% की वृद्धि हुई। राज्य की जीडीपी 2015-16 में 1.17 लाख करोड़ रुपए से दोगुनी होकर 2023-24 में 2.45 लाख करोड़ रुपए हो गई। यह 2024-25 में 2.63 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई। 

बिजली: बिजली क्षेत्र में बड़े सुधार हुए हैं। 2024 के मध्य तक 5.74 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए। दिसंबर 2026 तक बिजली उत्पादन दोगुना होने की उम्मीद है। सरकार ने ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर लगभग 10,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसके बाद भी जम्मू-कश्मीर में ऊर्जा की कमी बनी हुई है, खासकर सर्दियों में। इसकी 3,500 मेगावाट की स्थापित क्षमता सर्दियों में घटकर 600-650 मेगावाट रह जाती है। इसे केंद्रीय आवंटन पर निर्भर रहना पड़ता है।

वित्तीय स्थिति: जेएंडके बैंक 2019-20 में 1,139 करोड़ रुपए के घाटे से 2023-24 में 1,700 करोड़ रुपए के लाभ में पहुंच गया। एनपीए का स्तर आधा हो गया है। हालांकि, राजकोषीय घाटा अभी भी ऊंचा बना हुआ है। अर्थव्यवस्था केंद्रीय अनुदानों (व्यय का 70% तक) पर बहुत अधिक निर्भर है। कृषि और उद्योग जैसे प्रमुख क्षेत्रों का योगदान सेवाओं की तुलना में बहुत कम है।

पर्यटकों का आना बढ़ा, लेकिन सुरक्षा चिंताओं के साये में पर्यटन स्थल

जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों का आना बढ़ा है। 2023 में यहां रिकॉर्ड 2.11 करोड़ पर्यटक आए। पर्यटन ने राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 7% का योगदान दिया। पहलगाम हमला होने के बाद अब सुरक्षा चिंता बढ़ गई है। 2019 के बाद 75 नए डेस्टिनेशन खोले गए। होमस्टे को प्रोत्साहित किया गया। करीब 2,000 होमस्टे रजिस्टर्ड किए गए।

प्रोत्साहनों के बावजूद पर्यटन में निजी निवेश सुस्त बना हुआ है। केवल 5 होटलों ने नई औद्योगिक योजना में शामिल होने का विकल्प चुना है। श्रीनगर में रेडिसन का 200 कमरों वाला होटल और पहलगाम में जेडब्ल्यू मैरियट का 150 कमरों वाला होटल जैसे प्रोजेक्ट अपवाद हैं। अधिकारी उपयुक्त भूमि की सीमित उपलब्धता को एक बाधा बताते हैं। पहलगाम हमले के बाद, प्रशासन ने 50 पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया और व्यापक सुरक्षा समीक्षा शुरू की। इसके बाद से 16 ऐसे पर्यटन स्थलों को पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिया गया है। पहलगाम की घटना इस बात की याद दिलाती है कि आतंकवाद में कमी के बावजूद, खतरा अभी भी बना हुआ है।

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