जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 पर गरमागरमी, पहले दिन ही हंगामा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले सत्र में अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया, जिस पर बीजेपी और पीडीपी के बीच तीखी बहस हुई। स्पीकर ने अभी तक किसी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है।
Dheerendra Gopal | Published : Nov 4, 2024 10:26 AM IST / Updated: Nov 04 2024, 04:16 PM IST
Jammu Kashmir Assembly first session: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव के बाद सोमवार को पहला सत्र शुरू हुआ। सोमवार की सुबह विधानसभा का पहला सत्र काफी हंगामादार रहा। छह साल में पहली बार गठित विधानसभा के पहले सत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया। केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था।
जम्मू-कश्मीर में नवनिवार्चित विधानसभा के पहले सत्र में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। यह प्रस्ताव पीडीपी के विधायक वाहिद पारा ने पेश किया। विधायक पारा ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के खिलाफ एक आश्चर्यजनक प्रस्ताव पेश किया और इसे बहाल करने की मांग की।
वाहिद पारा के प्रस्ताव का बीजेपी विधायकों ने खुलकर विरोध किया। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया। बीजेपी ने पीडीपी विधायक पारा को सस्पेंड करने की मांग की। सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के स्पीकर रहीम राथर ने साफ किया कि उन्होंने अभी तक किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है।
उधर, मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पहले ही उमर अब्दुल्लाह यह कह चुके हैं कि बीजेपी जबतक केंद्र में रहेगी तबतक 370 को बहाल करने की उम्मीद करना मूर्खता है।
पहले सत्र में पीडीपी के प्रस्ताव पर उन्होंने सोमवार को कहा कि वास्तविकता यह है कि जम्मू-कश्मीर के लोग (अनुच्छेद 370) के फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं। अगर वे ऐसा करते तो आज के नतीजे अलग होते। लेकिन पीडीपी विधायक के प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है, यह केवल कैमरों के लिए है। अगर इसके पीछे कोई उद्देश्य होता तो वे (पीडीपी) पहले हमसे इस पर चर्चा करते।
जम्मू-कश्मीर का स्पेशल स्टेटस खत्म करते हुए केंद्र की बीजेपी सरकार ने 5 अगस्त 2019 में 370 को खत्म कर दिया था। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर व लद्दाख, में विभाजित कर दिया था।
केंद्र के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ था। केंद्र के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में इस प्रावधान को अस्थायी करार दिया था।
दरअसल, अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा और विशेषाधिकार मिला हुआ था।
केंद्र शासित बनाए जाने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए। यह चुनाव 370 हटने के बाद भी पहली बार ही हुआ।
नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ सरकार बनाई है। एनसी-कांग्रेस गठबंधन ने 8 अक्टूबर को चुनाव जीता था।
जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों में नेशनल कांफ्रेंस ने 42 सीटें जीती हैं। चार निर्दलीय विधायकों के अलावा एक आम आदमी पार्टी का विधायक भी समर्थन दिया है।