Jawahar Lal Nehru की 132वीं जयंती: Parliament में परंपरा नहीं निभाने का आरोप, कहा-Speaker समेत मंत्री रहे गायब

आरोप: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भी समारोह में हिस्सा नहीं लिया।

नई दिल्ली। देश के प्रथम प्रधानमंत्री (First Prime Minister of India) जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) की 132वीं जयंती पर संसद में पारंपरिक समारोह में लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा सभापति सहित सरकार के मंत्रियों की अनुपस्थिति पर कांग्रेस ने नाराजगी जताई है। कांग्रेस नेताओं ने शिकायत की कि जवाहरलाल नेहरू की जयंती (Jawahar Lal Nehru 132nd Birth anniversary) के अवसर पर संसद में पारंपरिक समारोह में कोई मंत्री मौजूद नहीं था। यहां तक ​​कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने भी समारोह में हिस्सा नहीं लिया।

हर साल होता है पुष्पांजलि समारोह

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14 नवंबर देश के पहले प्रधान मंत्री की जयंती पर हर साल संसद के सेंट्रल हॉल में उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इस कार्यक्रम में राज्यसभा सभापति, लोकसभा अध्यक्ष, सरकार के मंत्री आदि मौजूद रहते हैं। लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि इस बार कोई नहीं पहुंचा। 

सेंट्रल हाल में पुष्पांजलि देने ये रहे मौजूद

रविवार सुबह हुए समारोह में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने भाग लिया। इसके अलावा, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और संसद के अन्य सदस्य उपस्थित थे। परंपराओं का निर्वहन नहीं किए जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने ट्वीट कर आलोचना की है। 

 

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की 132वीं जयंती पर याद कर श्रद्धांजलि दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।

1966 में संसद भवन के सेंट्रल हॉल में चित्र का हुआ अनावरण

जवाहरलाल नेहरू के चित्र का अनावरण भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने 5 मई, 1966 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में किया था। नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था, वे देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री बने। 27 मई 1964 को उन्होंने अंतिम सांस ली। नेहरू को प्यार से 'चाचा नेहरू' कहा जाता था और वे बच्चों को प्यार और स्नेह देने के महत्व पर जोर देने के लिए जाने जाते थे। उनके निधन के बाद, सर्वसम्मति से उनके जन्मदिन को 'बाल दिवस' या भारत में बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।

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