कश्मीर में सरकारी नौकरियां कर रहे आतंकवादी, LG ने पूछा बड़ा सवाल-पहले इन्हें कैसे भर्ती किया गया था‌?

जम्मू-कश्मीर की यूनिक फैमिली आईडी या परिवार पहचान पत्र पर सवाल खड़ा करके जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती खुद फंस गई हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहले की सरकारों में आतंकवादियों को सरकारी नौकरियां देने पर भी सवाल उठाए हैं।

जम्मू. जम्मू-कश्मीर की यूनिक फैमिली आईडी या परिवार पहचान पत्र(family identification numbe) पर सवाल खड़ा करके जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती खुद फंस गई हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा( Lieutenant Governor Manoj Sinha) ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में योग्यता के आधार पर भर्ती पर सवाल उठाने वालों पर कटाक्ष किया और जानना चाहा कि ''अतीत में आतंकवादियों के परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी कैसे मिली?'' पढ़िए पूरा विवाद...


एलजी जम्मू में एक कार्यक्रम के दौरान कहा-"पिछले दो वर्षों में जम्मू और कश्मीर में लगभग 30,000 युवाओं को नौकरियां प्रदान की गई हैं। वहीं, सिन्हा ने  यह भी कहा पिछले कुछ सालों में जब सिलेक्शन सवालों के घेरे में आया, तो देश की प्रमुख जांच एजेंसी द्वारा इसकी जांच की गई। मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसमें शामिल किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा।" 

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परिवार पहचान संख्या को लेकर राजनीतिक दलों की आलोचना के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "परिवार पहचान पत्र के बारे में किसी के भी गलत विचार नहीं होने चाहिए। इसे परिवारों की सहमति से तैयार किया जाएगा।"

सिन्हा ने कहा कि इससे लोगों को जम्मू-कश्मीर में सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

सिन्हा ने कहा, "सरकारी नौकरियों पर एक और सवाल लटका हुआ है। इस मुद्दे को उठाने वालों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि आतंकवादियों के परिवार के सदस्य सरकारी सेवाओं में कैसे हैं?" 


सिन्हो ने दो टूक कहा-"इन लोगों को यह याद रखना चाहिए कि शासन आम आदमी के लिए होना चाहिए न कि कुछ चुनिंदा लोगों के लिए। हमें यह पूछने की जरूरत है कि आतंकवादियों के परिवारों को पहले सरकारी सेवाओं में कैसे भर्ती किया गया था? अलगाववादियों को पहले कैसे नौकरी दी गई थी। इस तरह के जघन्य कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों को अब हो रही पारदर्शी और योग्यता आधारित भर्ती पर सवाल उठाने से पहले आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।


परिवार पहचान संख्या के बारे में एलजी ने कहा कि डेटा तैयार होने के बाद इसे स्टोर कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा, "इसमें जन्म, मृत्यु और विवाह की तारीखें शामिल होंगी और लोगों को सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे पारदर्शिता आएगी।"

बता दें कि मुफ्ती महबूबा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि  ‘एक यूनिक परिवार आईडी’ बनाना 2019 के बाद से घटते विश्वास का प्रतीक है।’  नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं।


घाटी में कश्मीरी पंडितों के कर्मचारियों को खतरे के बारे में उपराज्यपाल ने दावा किया कि कोई यह नहीं कह सकता कि प्रशासन उनसे बात नहीं करना चाहता। जब भी उन्होंने समय मांगा, उन्हें दिया गया। उन्होंने दावा किया कि जहां तक उनके प्रमोशन और सिक्योरिटी का सवाल है, सभी का समाधान कर लिया गया है। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में किसी से भी बातचीत के लिए मेरे दरवाजे खुले हैं।"

आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त करके जम्मू और कश्मीर में प्रोग्रेस पर उपराज्यपाल ने कहा-"आर्टिकल 370 ने जम्मू-कश्मीर को अलगाववाद, आतंकवाद, भाई-भतीजावाद और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार दिया। इसने हमारे भाइयों और बहनों को उचित अधिकारों से वंचित कर दिया और पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद फैलाने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति, प्रगति के एक नए युग की शुरुआत की।" 

एलजी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग हमेशा शांति चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद को उकसाया और उसके हमदर्दों ने इस धरती के स्वर्ग को नष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने दावा किया, "हालांकि, स्थिति बदल गई है। पृथ्वी पर स्वर्ग(कश्मीर) अब विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है और नागरिकों को जीवन में अधिक आसानी हो रही है।" 

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