JNU हिंसा के विरोध में गेटवे ऑफ इंडिया पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर केस दर्ज, आइशी पर 2 FIR दर्ज

JNU में हुए बवाल को दो दिन बीत चुके हैं। लेकिन दिल्ली पुलिस के हाथ अभी तक खाली है। पुलिस हमलावरों की तलाश में खाक छानते फिर रही है। इस मामले में शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने FIR तो दर्ज कर ली है, लेकिन कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 7, 2020 4:10 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:23 PM IST

नई दिल्ली. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में रविवार को नकाबपोश हमलावरों द्वारा किए गए तोड़फोड़ और छात्रों-फैकल्टी से मारपीट की घटना को दो दिन बीत चुके हैं। लेकिन दिल्ली पुलिस के हाथ अभी तक खाली है। पुलिस हमलावरों की तलाश में खाक छानते फिर रही है। JNU में हुए बवाल ने देश के अन्य शहरों तक प्रदर्शन की चिंगारी पहुंचा दी है, मुंबई-कोलकाता समेत कई शहरों में छात्र सड़कों पर उतर JNU छात्रों के समर्थन में खड़े हैं। 

JNU पहुंची क्राइम ब्रांच

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5 जनवरी यानी रविवार को जेएनयू में हुई हिंसा की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कैंपस पहुंची। जहां, जांच टीम घटनास्थल का मौका मुआयना करेगी और तथ्य को इकठ्ठा करेगी। वहीं, खबर मुंबई से है कि मुंबई पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की तैयारी में है। 

आईशी घोष के खिलाफ केस दर्ज

जेएनयू में हुए हिंसा के बाद से दिल्ली पुलिस की जांच टीम कार्रवाई कर रही है। इसी क्रम में पुलिस ने जेएनयू छात्रसंध की अध्यक्ष आईशी घोष के खिलाफ केस दर्ज किया है। गौरतलब है कि रविवार देर शाम हुए हिंसा में आईशी घोष को बुरी तरह से पीटा गया था। इसके साथ ही उन्होंने सभी नकाबपोश हमलावरों को पहचानने का दावा किया था। 

दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली घेरे में 

जामिया यूनिवर्सिटी में जब नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी, तो दिल्ली पुलिस बिना किसी परमिशन के कैंपस में घुसी और हवाला ये दिया कि कुछ बाहरी गुंडे अंदर घुस गए हैं। लेकिन जब जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में खुलेआम गुंडे घुस रहे थे, तब पुलिस गायब रही। यही कारण है कि दिल्ली पुलिस के एक्शन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, पुलिस ने केस दर्ज करने में काफी लापरवाही दिखाई। जिसके बाद से दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। 

हिंसा में है बाहरी लोगों का हाथ 

इस मामले में शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने FIR तो दर्ज कर ली है, लेकिन कोई ठोस एक्शन नहीं लिया गया है। पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में साफ दिख रहा है कि इस हिंसा में बाहरी लोगों का हाथ है, इस हिंसा की कड़ी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए सर्वर पर शुरू हुए विवाद से हुई। पुलिस का कहना है कि पांच जनवरी को पहले शाम पांच बजे, फिर शाम सात बजे उनके पास कॉल आई। अभी पुलिस की ओर से सीसीटीवी फुटेज खंगाला जा रहा है। पुलिस के सामने अभी भी चुनौती है कि वह इस हिंसा के गुनहगारों को जल्द से जल्द पकड़े। 

मुंबई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को किया शिफ्ट 

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्रों को मंगलवार सुबह मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से आजाद मैदान ले जाया गया है। सुबह करीब 7 बजे पुलिस ने सभी छात्रों को पहले समझाया कि इस जगह को खाली कर दें, क्योंकि प्रदर्शन से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। जब छात्र नहीं माने तो सभी को गाड़ियों में बैठाकर आजाद मैदान शिफ्ट कर दिया गया। बता दें, सोमवार शाम गेटवे ऑफ इंडिया पर 'फ्री कश्मीर' के पोस्टर लहराए गए थे जिसके बाद वहां माहौल खराब होने की आशंका बढ़ गई थी।  पुलिस ने इसे देखते हुए कार्रवाई की है। 

मंत्रालय को सौंपी गई है रिपोर्ट

जेएनयू में हुई हिंसा पर मानव संसाधन मंत्रालय ने रिपोर्ट तलब की थी। जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर धनंजय सिंह का कहना है कि जो भी हिंसा हुई वह काफी निंदनीय थी। उन्होंने आज मंत्रालय के सेक्रेटरी से मुलाकात की है, हमारी तरफ से यूनिवर्सिटी का माहौल नॉर्मल करने की कोशिश है। गौरतलब है कि इस हिंसा में तीस से अधिक छात्र घायल हुए थे, सोमवार को JNU समेत देश की कई यूनिवर्सिटी में इस हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन जारी थी। 

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