पत्रकार-सोशल एक्टिविस्ट स्नेहा का निधन, हाशिए पर रहने वालों की थी मुखर आवाज

Published : Aug 29, 2023, 06:57 PM IST
Sneha Belcin

सार

वह नीलम सोशल के साथ-साथ अपने स्वयं के सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों, विशेष रूप से बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर (बीपीडी) के साथ अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बोलती थीं।

Journalist and activist Sneha Belcin passed away: सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार स्नेहा बेलसिन का सोमवार को चेन्नई में निधन हो गया। स्नेहा 26 साल की थीं। वह सामाजिक सरोकारों के प्रति बेहद एक्टिव रहने के साथ साथ बतौर पत्रकार, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस (टीएनआईई) की डिजिटल और वीडियो टीम के साथ काम करती थीं। जाति, लिंग से संबंधित मुद्दों पर मुखर आवाज उठाने के लिए भी वह जानी जाती थीं। स्नेहा की वीडियो सीरीज मुन्नुरई ने काफी लोकप्रियता हासिल कर रखी थी।

कर्नाटक में पली-बढ़ी, मुंबई में हायर एजुकेशन

स्नेहा बेलसिन, नागरकोइल और कोयंबटूर में पली बढ़ी थी। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने मुंबई की ओर रूख किया। यहां उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से पत्रकारिता आर फिल्ड प्रोडक्शन में डिग्री हासिल की। वह एक शानदार ट्रांसलेटर भी थीं। स्नेहा, 'कारतुम्बी' उपनाम से कविताएं और ब्लॉग लिखा करती थीं। स्नेहा का मुन्नुरई और एन्नडा पॉलिटिक्स पैनरिंगा, पॉलिटिकल सटायर, दर्शकों द्वारा काफी सराहा जाता था। बहुमुखी प्रतिभा की धनी, स्नेहा एक मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी थी। वह नीलम सोशल के साथ-साथ अपने स्वयं के सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों, विशेष रूप से बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर (बीपीडी) के साथ अपने संघर्ष के बारे में खुलकर बोलती थीं।

शार्ट फिल्म का डायरेक्शन भी किया, नीलम कल्चरल सेंटर ने दु:ख जताया

स्नेहा ने शार्ट फिल्म सवुंडु का निर्देशन किया था। यह एक पुलिसवाले और हाशिए पर रहने वाले एक व्यक्ति के बीच पॉवर डॉयनेमिक्स का रिइमेजिन करता है। इसे जनवरी 2021 में नीलम सोशल चैनल पर रिलीज किया गया था। नीलम कल्चरल सेंटर ने स्नेहा के निधन पर ट्वीट कर कहा कि स्नेहा उनके सबसे फेमस कंटेंट क्रिएटर्स में एक बनी रहेगी। उनकी आवाज और विचारों ने कई लोगों को अन्याय-अत्याचार के खिलाफ विरोध करने के लिए प्रेरित किया। स्नेहा जीवन से भरपूर और छोटी-छोटी चीज़ों की प्रशंसा करने वाली व्यक्ति थी। उनकी उपस्थिति से आसपास के लोगों का उत्साह बढ़ेगा। अक्सर, उन्होंने कविता, ब्लॉग पोस्ट और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर ऐसे शब्द लिखे हैं जिनके बारे में हममें से अधिकांश लोग या तो बात करने से कतराते हैं या उन्हें व्यक्त करना कठिन समझते हैं। फिर भी इन शब्दों ने कई लोगों को सुना, देखा और सराहा गया महसूस कराया। नीलम में हम सभी अभी भी इस नुकसान से सदमे में हैं।

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