यह पहला मौका है, जब पिता के बाद बेटा CJI बना है। जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें CJI थे। उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक मतलब करीब 7 साल तक रहा था। अब 37 साल बाद उनका बेटा इसी पद पर बैठा है।
नई दिल्ली.जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़( D Y Chandrachud) ने बुधवार को भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश( 50th Chief Justice of India) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में उन्हें शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित से भारत की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया, जिनका मंगलवार को कार्यकाल खत्म हो गया था।
यह पहला मौका है, जब पिता के बाद बेटा CJI बना है। जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें CJI थे। उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक मतलब करीब 7 साल तक रहा था। अब 37 साल बाद उनका बेटा इसी पद पर बैठा है। जस्टिस चंद्रचूड़ अपने पिता के 2 बड़े फैसलों को SC में पलट चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 9 नवंबर, 2022 से 10 नवंबर, 2024 तक यानी 2 साल का रहेगा।
CJI चंद्रचूड़ृ ने कही ये बात
नए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने शपथ लेने के बाद कहा कि देश के लोगों की सेवा करना उनकी ‘प्राथमिकता’ है। राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद 50वें CJI सुप्रीम कोर्ट परिसर पहुंचे और महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा-"आम लोगों की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है। कृपया आगे देखना, मैं देश के सभी नागरिकों के लिए काम करूंगा। प्रौद्योगिकी में हो या रजिस्ट्री में हो या न्यायिक सुधारों में हो, मैं हर पहलू में नागरिकों का ख्याल रखूंगा। " CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करना एक महान अवसर और जिम्मेदारी है। वह न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कैसे सुनिश्चित करेंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा,"मैं न केवल शब्दों के माध्यम से बल्कि अपने काम के माध्यम से नागरिकों का विश्वास सुनिश्चित करूंगा।"
13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में पदोन्नत जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता वाईपी चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले CJI रहे हैं। बता दें कि 7 अक्टूबर को सरकार ने तत्कालीन CJI ललित को एक पत्र भेजा था, जिसमें उनसे अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करने के लिए कहा गया था। ललित ने चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश की थी। परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह होता है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। वहीं, हाईकोर्ट के जज की रिटायर होने की उम्र 62 साल है। जस्टिस ललित दूसरे CJI रहे थे, जिन्हें बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट बेंच में प्रमोट किया गया था। जस्टिस एस एम सीकरी मार्च 1964 में सीधे शीर्ष अदालत की बेंच में पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे। सीकरी जनवरी 1971 में 13वें CJI बने थे।
जस्टिस चंद्रचूड़ CJI से पहले सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी (LLB) की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्हें InLaks स्कॉलरशिप मिली और वे लॉ में मास्टर्स (LLM) करने हार्वर्ड चले गए। यहीं से उन्होंने न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट (SJD) की डिग्री भी ली। जस्टिस चंद्रचूड़ ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल, Yale लॉ स्कूल और साउथ अफ्रीका के University of Witwatersrand में लेक्चर्स भी दे चुके हैं।
यह भी पढ़ें
G20 समिट में शामिल होने अगले हफ्ते इंडोनेशिया जाएंगे PM मोदी, पढ़िए पूरी डिटेल्स
इंडोनेशिया में होने वाले G20 समिट में दिखेगा हिमाचली आर्ट-कल्चर का जलवा, PM मोदी ले जा रहे अपने साथ ये गिफ्ट