जस्टिस यशवंत वर्मा केस: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान संवैधानिक प्रक्रिया पर उठा सवाल, अधिकारों के अतिक्रमण पर बहस

Published : Jul 28, 2025, 03:51 PM IST
Supreme Court of India

सार

Justice Yashwant Varma case: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उठाया प्रक्रिया का मुद्दा। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा- 'न्यायपालिका ने संसद का अधिकार छीना'। जानें पूरी सुनवाई और विवाद की अहम बातें।

Justice Yashwant Varma cash recovery case: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को स्पष्ट कहा कि यह याचिका ऐसे नहीं दाखिल होनी चाहिए थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि याचिका में गलत पार्टी को पक्ष बनाया गया है। इस याचिका पर अगली सुनवाई अब बुधवार को होगी।

'रिपोर्ट कहां है?' - तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट न लगाना गंभीर चूक

बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिका में तीन जजों की कमेटी की रिपोर्ट नहीं है। इस पर पीठ ने सवाल किया कि तीन सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट कहां है? सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में है लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी महत्वपूर्ण रिपोर्ट को याचिका के साथ अटैच करना जरूरी था।

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संसदीय प्रक्रिया को दरकिनार करने का आरोप

कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि जजों को हटाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेदों में निर्धारित है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस वर्मा के खिलाफ की गई कार्रवाई उस प्रक्रिया का उल्लंघन करती है। उन्होंने कहा कि अगर संसद में तब तक किसी जज के आचरण पर चर्चा नहीं हो सकती जब तक आरोप सिद्ध न हो जाए तो मीडिया में या न्यायपालिका के भीतर ऐसा कैसे हो सकता है?

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'क्या समिति की रिपोर्ट की वैधता पर सवाल है?'

जब सिब्बल ने कहा कि वर्मा के स्टाफ मौके पर मौजूद नहीं थे, कोर्ट ने सवाल किया कि तो क्या आप कह रहे हैं कि समिति की रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं है? इस पर सिब्बल ने कहा कि नहीं, ऐसा नहीं कह रहा लेकिन प्रक्रिया दोषपूर्ण है।

'पहले समिति के गठन को क्यों नहीं चुनौती दी?'

कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब समिति गठित हुई थी, तब याचिकाकर्ता ने उसे चुनौती क्यों नहीं दी। सिब्बल ने जवाब दिया कि वर्मा समिति के सामने इसलिए पेश हुए क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि सच्चाई सामने आएगी।

जस्टिस वर्मा का क्या है मामला?

दिल्ली स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद भारी मात्रा में नकदी (Cash Recovery) मिलने के बाद विवाद खड़ा हुआ था। इसके बाद उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) ने तीन सदस्यीय समिति बनाकर जांच करवाई और फिर उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की। लेकिन जस्टिस वर्मा ने इस सिफारिश को चुनौती देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटाने की सिफारिश करना संविधान की बुनियादी संरचना, विशेषकर सेपरेसन ऑफ पॉवर का उल्लंघन है। उनका कहना है कि इस तरह की सिफारिश करने का अधिकार केवल संसद के पास है।

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