रामलला की सुप्रीम कोर्ट में की पैरवी, 92 साल के परासरन को क्यों कहते हैं 'देवताओं का वकील'

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की ओर से 92 साल के वकील के  परासरन ने केस लड़ा। के पराशरण की उम्र को देखते हुए बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे।

नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की ओर से 92 साल के वकील के  परासरन ने केस लड़ा। के परासरन की उम्र को देखते हुए बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे।

भगवान अयप्पा के वकील रहें हैं परासरन
- के परासरन को देवताओं का वकील कहा जाता है। इसके पीछे खास वजह है। सबरीमाला मंदिर विवाद के दौरान उन्होंने महिलाओं को प्रवेश नहीं देने की परंपरा की वकालत की थी।   

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- 9 अक्टूबर 1927 को जन्में के परासरन 1976 में राष्ट्रपति शासन के दौरान तमिलनाडु के महाधिवक्ता और फिर 1983 से 1989 के बीच भारत के अटॉर्नी जनरल थे। परासरन को साल 2003 में पद्म भूषण और साल 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। जून 2012 में उन्हें राज्य सभा सदस्य बनाया गया। तमिलनाडु के श्रीरंगम में जन्में परासरन केसवा अयंगर के बेटे हैं, जो एक वकील हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि 2.77 एकड़ की विवादित जमीन पर मंदिर बनेगा। मस्जिद के लिए अयोध्या में ही अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाएगी। फैसले के बाद ही तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट पर तंज कसा।

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