सरकारी वकील होने के बाद भी परासरन के बेटे ने केस छोड़ कहा था, रामसेतु पर पड़े थे श्री राम के कदम

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया। रामलला विराजमान की ओर से 92 साल के वकील के परासरन ने केस लड़ा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 92 साल के परासरन काफी चर्चा में हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 10, 2019 10:21 AM IST

नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया। रामलला विराजमान की ओर से 92 साल के वकील के परासरन ने केस लड़ा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 92 साल के परासरन काफी चर्चा में हैं। के परासरन की चार पीढ़ियां वकालत से जुड़ी हैं। परासरन के पिता, तीनों बेटे और उनके नाती भी इसी पेशे से जुड़े हैं।

परासरन के बड़े मोहन परासरन हैं। वे यूपीए 2 सरकार में सॉलिसिटर जनरल रहे हैं। जहां एक ओर रामलला के लिए के परासरन ने केस लड़ा, वहीं दूसरी ओर मोहन ने राम सेतु के लिए सरकार की पैरवी करने से मना कर दिया था।  

क्यों छोड़ा था केस? 
मामला 2013 का है। उस वक्त यूपीए सरकार सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती थी। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं लगाई गई थीं। देश के सॉलिसिटर जनरल होने के बावजूद मोहन ने खुद को केस से अलग कर लिया था। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि वह मानते हैं कि रामसेतु पर भगवान राम के कदम पड़े थे, इसलिए सरकार की पैरवी नहीं कर सकते। 

उन्होंने कहा था, '' संविधान मुझे अलग राय रखने की इजाजत देता है। इसके अलावा मेरे पिता प्रोजेक्ट के खिलाफ केस लड़ रहे हैं। इसलिए हितों के टकराव की स्थिति नहीं चाहते। सेतु के अस्तित्व को नासा भी मान चुका है।

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