करन ने वाहियात फिल्में बनाईं, इंडस्ट्री उनके पापा की नहीं...शिवसेना के बाद कंगना करन जौहर पर क्यों भड़कीं?

शिवसेना से कंगना का शुरू हुआ विवाद करन जौहर तक पहुंच गया है। कंगना ने कहा, इंडस्ट्री को उन्होंने या उनके पापा ने नहीं बनाया। इस कमेंट के बाद कंगना की एक्टर-प्रोड्यूसर निखिल द्विवेदी से जमकर बहस हुई। इस बहस की शुरुआत समाजवादी पार्टी के डिजिटल मीडिया को-ऑर्डिनेटर मनीष जगन अग्रवाल के ट्वीट के बाद शुरू हुई। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 15, 2020 12:06 PM IST / Updated: Sep 15 2020, 07:59 PM IST

नई दिल्ली. शिवसेना से कंगना का शुरू हुआ विवाद करन जौहर तक पहुंच गया है। कंगना ने कहा, इंडस्ट्री को उन्होंने या उनके पापा ने नहीं बनाया। इस कमेंट के बाद कंगना की एक्टर-प्रोड्यूसर निखिल द्विवेदी से जमकर बहस हुई। इस बहस की शुरुआत समाजवादी पार्टी के डिजिटल मीडिया को-ऑर्डिनेटर मनीष जगन अग्रवाल के ट्वीट के बाद शुरू हुई। 

मनीष अग्रवाल ने क्या ट्वीट किया?
मनीष अग्रवाल ने लिखा, कंगना जी, आप सबके संघर्षों को गाली देकर, तुच्छ बताकर,सबके ऊपर निशाना साधकर आगे बढ़ना चाहती हैं? करन जौहर हों या अन्य फ़िल्म निर्माता सभी लोगों की सामूहिक मेहनत से ये भारतीय फिल्म इंडस्ट्री खड़ी हुई है,कोई भी इंडस्ट्री आपकी तरह सबको गाली देकर 1-2 दिन में खड़ी नहीं हो जाती।

इसी ट्वीट पर कंगना ने एक के बाद एक चार ट्वीट किए। उन्होंने करन जौहर पर निशाना साधा।

कंगना का पहला ट्वीट- "इंडस्ट्री सिर्फ करण जोहर/उसके पापा ने नहीं बनाई,बाबा साहेब फाल्के से लेकर हर कलाकार और मज़दूर ने बनाई है,उस फ़ौजी ने जिसने सीमाओं को बचाया,उस नेता ने जिसने संविधान की रक्षा की है,उस नागरिक ने जिसने टिकट ख़रीदा और दर्शक का किरदार निभाया,इंडस्ट्री करोड़ों भारतवासियों ने बनाई है।"

कंगना का दूसरा ट्वीट- "क्या निर्माण किया? आइटम नम्बर्ज़ का? अधिकतर वाहियात फ़िल्मों का? ड्रग्स कल्चर का? देशद्रोह और टेररिज़म का? बॉलीवुड पे दुनिया हंसती है, देश का हर जगह मखौल बनाया जाता है, पैसे और नाम तो दवूद ने भी कमाया है मगर इज़्ज़त चाहिए तो उसे कमाने की कोशिश करो काली करतूतें छुपाने की नहीं ।"

कंगना का तीसरा ट्वीट- "जी मैं आकर्षित हुई क्यूँकि जो माफिया यहाँ लोगों पे अत्याचार और जुल्म कर रही है, उसकी पोल एक दिन खुलनी थी, और खुल गयी"

कंगना का चौथा ट्वीट- "आप सच कह रहे हैं, हम सब अपने लिए ही जीते हैं जो भी करते हैं अपने लिए ही करते हैं मगर कभी कभी हम में से कुछ एक को ज़िंदगी इतना सताती है की वो हर ख़ौफ़ से आज़ाद हो जाते हैं, ज़िंदगी के मायने बदल जाते है मक़सद बदल जाते हैं, ऐसा भी होता है, यह भी एक सच है ।"

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