दक्षिण भारत की कडू कुरुबा आदिवासियों को आरक्षण का मिलेगा लाभ, संसद में ST में शामिल करने का विधेयक पास

लोकसभा ने 19 दिसंबर को इस विधेयक को पास कर राज्यसभा को भेज दिया था। इस विधेयक को ट्राइबल अफेयर्स मिनिस्टर अर्जुन मुंडा ने पेश किया था। राज्यसभा ने गुरुवार को ध्वनिमत से संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक 2022 पारित कर दिया। 

Dheerendra Gopal | Published : Dec 22, 2022 1:18 PM IST

Parliament Winter session: कर्नाटक में विलुप्त हो रही जनजातिय समूह बेट्टा-कुरुबा को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल कर लिया गया है। बेट्टा कुरुबा को दक्षिण भारत की प्रमुख अनुसूचित जनजातियों में शुमार कडू कुरुबा के साथ शामिल किया गया है। गुरुवार को बेट्टा कुरुबा को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने संबंधित विधेयक संसद में पारित किया गया।

19 दिसंबर को लोकसभा में हुआ था पास

कडू कुरुबा के साथ बेट्टा कुरुबा को कर्नाटक में अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने संबंधित विधेयक सरकार ने शीतकालीन सत्र में लाया है। लोकसभा ने 19 दिसंबर को इस विधेयक को पास कर राज्यसभा को भेज दिया था। इस विधेयक को ट्राइबल अफेयर्स मिनिस्टर अर्जुन मुंडा ने पेश किया था। राज्यसभा ने गुरुवार को ध्वनिमत से संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (चौथा संशोधन) विधेयक 2022 पारित कर दिया। 

पांच हजार से अधिक बेट्टा कुरुबा ट्राइबल्स को फायदा

मंत्री ने कहा कि विधेयक पास होने के बाद कर्नाटक के बेट्टा-कुरुबा समुदाय को फायदा होगा। राज्य में पांच हजार के आसपास सदस्य बेट्टा कुरुबा के निवास करते हैं। केंद्रय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने राज्य की अनुसूचित जनजातियों की सूची में प्रविष्टि 16 में 'कडू कुरुबा' के पर्याय के रूप में 'बेट्टा-कुरुबा' समुदाय को शामिल करने का अनुरोध किया है। इसलिए सरकार ने संसद में विधेयक को पेश कर इसकी अनुमति दे दी है। मुंडा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं किया है और अब घड़ियाली आंसू बहा रही है। मुंडा ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार समाज के सभी वर्गों को न्याय देने की कोशिश कर रही है।

नौकरियों और शिक्षा में मिलेगा लाभ

दरअसल, बेट्टा कुरुबा समुदाय के लोगों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के बाद अब इस समाज के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में फायदा मिल सकेगा। यह लोग सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले योजनाओं का लाभ भी पा सकेंगे।

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