चिक्कमगलुरु के कॉफी बगान में 16 दलितों को 15 दिनों तक बंधक बनाकर अत्याचार, दलित महिला ने बच्चा खोया

दलितों को बंधक बनाए जाने का मामला तक सुर्खियों में आया जब बंधक बनाई गई एक गर्भवती दलित महिला ने बच्चा खो दिया। पिटाई की वजह से बच्चा खोने वाली महिला की हालत बिगड़ी तो उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद उस महिला के परिजन ने चिक्कमगलुरु एसपी से पूरी बात बताई। पुलिस अधीक्षक के पास मामला पहुंचते ही पुलिस विभाग सक्रिय हो गया।

Chikkamagaluru Dalits tortured by Coffee estate owner: कर्नाटक के चिक्कमगलुरू के एक कॉफी बगान में दलितों के साथ अत्याचार का मामला सामने आया है। आरोप है कि कॉफी बगान मालिक ने 16 दलितों को बंधक बनाकर अत्याचार किया। अत्याचार का आलम यह कि बंधक बनाई गई एक दलित महिला ने मारपीट की वजह से अपना बच्चा खो लिया। महिला का इलाज अस्पताल में चल रहा है। उधर, शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है। पुलिस ने बताया कि आरोपी जगदीश गौड़ा और उनके बेटे तिलक गौड़ा के खिलाफ दलितों पर अत्याचार का केस दर्ज किया गया है। दोनों आरोपी फरार हैं, जल्द ही अरेस्ट कर लिया जाएगा। उधर, विपक्ष ने आरोपी को बीजेपी नेता बताया है जबकि बीजेपी ने इन दावों को खारिज कर दिया है। 

क्या है पूरा मामला?

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जेनुगड्डे गांव में एक कॉफी बगान है। इसके मालिक जगदीश गौड़ा हैं। जगदीश गौड़ा और उनके बेटे तिलक गौड़ा इस कॉफी एस्टेट की देखरेख करते हैं। आरोप है कि तिलक गौड़ा से यहां काम करने वाले मजदूर परिवारों से काफी उधार लिया था। करीब 9 लाख रुपये की रकम तमाम मजदूर परिवारों में इन्होंने उधारी दिए थे। उधारी नहीं देने पर इनको कॉफी बगान मालिक ने बंधक बनाकर अत्याचार किया। 

शिकायत के बाद भी स्थानीय थाने में नहीं हुई सुनवाई

बंधक बनाए गए दलित परिवारों के रिश्तेदारों ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत कर पूरा मामला बताया लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बंधक बनाए परिवारों के रिश्तेदारों को भी धमकी मिलने लगी तो उन्होंने तहरीर तक वापस ले ली। इस मामले में लोकल थाने की पुलिस ने बताया कि मालिक से 9 लाख रुपये की राशि उधार ली थी औ कर्ज नहीं चुकाने पर 16 मजदूरों को इनके द्वारा बंधक बना लिया गया था। आठ अक्टूबर को कुछ लोग बालेहोन्नूर पुलिस थाने आए। इनके द्वारा आरोप लगाया कि जगदीश गौड़ा उनके रिश्तेदारों को प्रताड़ित कर रहे हैं। लेकिन बाद में उस दिन उन्होंने शिकायत वापस ले ली।

अधिकारियों तक पहुंचा मामला तो हुई कार्रवाई

दलितों को बंधक बनाए जाने का मामला तक सुर्खियों में आया जब बंधक बनाई गई एक गर्भवती दलित महिला ने बच्चा खो दिया। पिटाई की वजह से बच्चा खोने वाली महिला की हालत बिगड़ी तो उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद उस महिला के परिजन ने चिक्कमगलुरु एसपी से पूरी बात बताई। पुलिस अधीक्षक के पास मामला पहुंचते ही पुलिस विभाग सक्रिय हो गया। इस मामले में आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ। एसपी के आदेश के बाद बंधक दलित मजदूरों को रिहा कराया गया। पुलिस ने बताया कि जब टीम मौके पर पहुंची तो एक कमरे में काफी लोगों को बंद रखा गया था। इसके बाद उनको वहां से छुड़ाया गया। अधिकारी ने कहा कि उन्हें पिछले 15 दिनों से नजरबंद रखा गया था। चार परिवार हैं जिनमें 16 सदस्य शामिल हैं। सभी अनुसूचित जाति से हैं। सभी 16 को नजरबंद रखा गया था। बच्चा खोने वाली पीड़िता अर्पिता की मां ने बताया कि उसकी बेटी और दामाद को जगदीश गौड़ा और उनके बेटे से बुरी तरह से पिटाई की। उसकी बेटी ने बच्चा खो दिया। वह दो महीने की गर्भवती थी।

पैसा उधार लेने का था पूरा मामला

चिक्कमगलुरु जिले के पुलिस अधीक्षक उमा प्रशांत ने बताया कि श्रमिकों ने जगदीश गौड़ा से पैसे उधार लिए थे। जिन लोगों ने उधार लिए थे उनमें से कई सारे वहां से भाग गए थे। उधारी न डूबे इसलिए जगदीश गौड़ा ने अन्य को बंधक बना लिया था। पुलिस ने पीड़ित पक्ष की शिकायत के बाद केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

 

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