कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे मुद्दों को जोरशोर से उठाया। इसके साथ ही चुनाव से पहले गारंटियां दीं, जिसका लाभ मिला। भाजपा सत्ता-विरोधी लहर को दबा नहीं पाई।
बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा के 224 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली है। इसके साथ ही कर्नाटक चौथा ऐसा राज्य बन गया है जहां कांग्रेस की सरकार होगी। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी। कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे मुद्दों को जोरशोर से उठाया। इसके साथ ही चुनाव से पहले गारंटियां दीं, जिसका लाभ मिला। आइए उन वजहों पर नजर डालते हैं, जिसके चलते कांग्रेस को यह जीत मिली है।
कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को अपने चुनाव प्रचार अभियान का केंद्रीय विषय बनाया। इसके साथ ही मुफ्त बिजली और चावल देने व बेरोजगारी भत्ता देने जैसी गारंटियां दी। दूसरी ओर भाजपा सत्ता-विरोधी लहर को दबा नहीं पाई। भाजपा हिंदुत्व कार्ड खेला, जिससे 13 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट दिया।
कांग्रेस ने वादा किया कि सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में वह अपनी पांच गारंटियों को पूरा करेगी। सभी घरों को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी, हर परिवार की महिला मुखिया (गृह लक्ष्मी) को 2,000 रुपए प्रति माह सहायता मिलेगी, बीपीएल परिवार के हर महीने प्रति सदस्य 10 किलो चावल मिलेगा, स्नातक युवाओं को हर महीने 3,000 रुपए और डिप्लोमा धारकों को 1,500 रुपए (18-25 आयु वर्ग) का बेरोजगारी भत्ता मिलेगा। सार्वजनिक परिवहन बसों में महिलाओं को किराया नहीं देना होगा।
2024 के लोकसभा से पहले बढ़ा कांग्रेस का मनोबल
2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले कांग्रेस को कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में जीत मिली है। कुछ समय पहले ही कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीता था। इन सफलताओं से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस का मनोबल बढ़ेगा। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, "मुझे लगता है कि यह चुनाव महत्वपूर्ण है। यह परिणाम 2024 में लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए मील का पत्थर है। मुझे यह भी उम्मीद है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनेंगे।"
कांग्रेस स्थानीय मुद्दों पर लड़ा चुनाव
कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा। चुनाव अभियान कर्नाटक के नेताओं द्वारा चलाया गया। केंद्रीय नेताओं जैसे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने बाद में समर्थन किया। सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार के खेमे के बीच की गुटबाजी को कांग्रेस सफलतापूर्वक चुनाव प्रचार अभियान से दूर रखा।
कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए यह चुनाव काफी अहम था। वह कर्नाटक से हैं और अध्यक्ष बनने के बाद उनका पहला चुनाव था। चुनाव अभियान शुरू में सिद्धारमैया और शिवकुमार जैसे कर्नाटक के नेताओं के आसपास केंद्रित था। बाद में खड़गे ने इसे गति दी। पार्टी के शीर्ष नेताओं राहुल और प्रियंका गांधी ने आखिरी के दिनों में चुनावी रैलियां कर माहौल अपने पक्ष में किया।
राहुल और प्रियंका ने दिया नरेंद्र मोदी के हमलों का जवाब
राहुल और प्रियंका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की ओर से हो रहे हमलों का जवाब दिया। दोनों ने जनता से कर्नाटक के लिए एक बेहतर विकल्प देने का वादा किया और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। सोनिया गांधी ने हुबली में रैली को संबोधित किया। भाजपा सरकार पर कांग्रेस के हमले का फोकस भ्रष्टाचार था। राज्य सरकार पर "40 प्रतिशत कमीशन" के आरोप लगाए गए। भगवा ने बीएस येदियुरप्पा जैसे लिंगायत नेताओं को दरकिनार किया। इसका लाभ कांग्रेस को मिला। जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी जैसे बड़े लिंगायत नेताओं को भाजपा ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए।