यह मुआवजा ग्राम विकास अधिकारी के 88 साल के बुजुर्ग बेटे को मिलेगा जो अपने पिता के 37 हजार रुपये के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे।
Karnataka High court big decision: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को असंवेदनशील नौकरशाही और लालफीताशाही के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। असंवेदनशील नौकरशाही के शिकार एक ग्राम विकास अधिकारी के मुआवजा को कई दशक की लड़ाई के बाद देने का आदेश दिया। यह मुआवजा ग्राम विकास अधिकारी के 88 साल के बुजुर्ग बेटे को मिलेगा जो अपने पिता के 37 हजार रुपये के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे।
दरअसल, कर्नाटक में तैनात एक ग्राम विकास अधिकारी का 1979 से 1990 तक का एरियर बकाया था। लेकिन ग्राम विकास अधिकारी नौकरशाही की असंवेदनशीलता के शिकार हो गए। वह अपने एरियर के लिए ऑफिस की दौड़ लगाते लगाते मर गए। ग्राम विकास अधिकारी के बेटे जिनकी उम्र वर्तमान में करीब 88 साल है, ने अपने पिता के एरियर भुगतान की लड़ाई को जारी रखा। अपने पिता के 37 हजार रुपये के एरियर को पाने के लिए ग्राम विकास अधिकारी के 88 वर्षीय बेटा लगातार कानूनी लड़ाई लड़ते रहे।
हाईकोर्ट ने नौकरशाही को फटकारा और एरियर भुगतान का दिया आदेश
हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी के बेटे के मामले को सुनते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया। ग्राम विकास अधिकारी के एरियर का 37 हजार रुपये उनके बेटे को देने का आदेश सुनाया। हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि नौकरशाही की असंवेदनशीलता और लालफीताशाही का शिकार एक ग्राम विकास अधिकारी हुए जो अपना एरियर पाने के लिए लड़ते रहे और उसके बिना ही मर गए। अब यह कानूनी लड़ाई उनके 88 वर्षीय बेटे लड़ रहे हैं।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
जस्टिस पीएस दिनेश कुमार और जस्टिस टीजी शिवशंकर गौड़ा की बेंच ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ग्राम अधिकारी असंवेदनशील नौकरशाही लालफीताशाही का एक और शिकार बन गए और मुआवजा प्राप्त किए बिना मर गए। उनका बेटा, जो कि एक अस्सी वर्ष का है, अभी भी अपने पिता के अधिकार के लिए लड़ रहा है। यह बहुत आश्चर्य की बात है कि राज्य ने भी असंवेदनशील कदम उठाया और कह दिया कि याचिकाकर्ता के पिता मुआवजा के हकदार नहीं थे। कोर्ट ने फटकार लगाने के साथ पीड़ित पक्ष को 37 हजार रुपये की एरियर भुगतान का आदेश दिया।
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