महिला कर्मचारियों के लिए बुरी खबर: पीरियड्स की छुट्टी पर हाईकोर्ट की रोक

Published : Dec 09, 2025, 01:51 PM IST
menstrual leave

सार

कर्नाटक हाईकोर्ट ने महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देने वाले सरकारी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह फैसला बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन की याचिका पर आया, जिसने बिना सलाह-मशविरा के आदेश जारी करने का आरोप लगाया था।

बेंगलुरु (09 दिसंबर): राज्य सरकार ने महिला कर्मचारियों को पीरियड्स (मासिक धर्म) के दौरान एक दिन की पेड लीव (वेतन सहित छुट्टी) देने के लिए जो ज़रूरी नोटिफिकेशन जारी किया था, उस पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। राज्य सरकार के इस आदेश को चुनौती देने वाली बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन (रजि.) की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ज्योति मुलिमनी की बेंच ने सरकारी नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई तक इसे टाल दिया।

राज्य सरकार के श्रम विभाग ने 20 नवंबर, 2025 को इस बारे में एक नोटिफिकेशन जारी करके पीरियड्स की छुट्टी लागू करने की तैयारी की थी। लेकिन, बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन (रजि.) ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया कि इस आदेश से होटल इंडस्ट्री को बहुत ज़्यादा दिक्कत होगी।

हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक क्यों लगाई?

याचिका पर सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी, 'राज्य सरकार एकतरफा आदेश के ज़रिए एक ऐसा नियम लागू करने की कोशिश कर रही है, जिसका किसी भी कानून में ज़िक्र नहीं है। इस एकतरफा फैसले से होटल इंडस्ट्री को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। आदेश जारी करने से पहले सरकार ने किसी भी संघ या संगठन से राय नहीं ली।'

यह दलील सुनने के बाद, कोर्ट ने सीधे पूछा, 'क्या सरकारी आदेश से पहले संबंधित संगठनों से राय ली गई थी?' इस पर, होटल एसोसिएशन के वकील ने 'नहीं' में जवाब दिया। इसी आधार पर, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के नोटिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए अगली सुनवाई तक आदेश पर रोक लगा दी।

सरकार को नोटिस जारी; बदलाव का मौका

कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को याचिका पर अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया है। हालांकि, बेंच ने यह भी साफ किया है कि सरकार अंतरिम रोक के आदेश में बदलाव के लिए कोर्ट से अपील कर सकती है। मजदूरों के भले के लिए सरकार का यह प्रगतिशील आदेश, तकनीकी और कानूनी अड़चनों की वजह से फिलहाल लागू होने से रुक गया है। अब अगली सुनवाई में कोर्ट यह तय करेगा कि सरकार का यह कदम कानूनी तौर पर सही है या नहीं।

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