हिजाब मामला : कपिल सिब्बल ने SC में की अर्जेंट हियरिंग की मांग, सीजेआई बोले - पहले हाईकोर्ट का फैसला आने दें

Karnataka hijab Controversy : कर्नाटक में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर हुई है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सीजेआई एनवी रमण की अदालत में अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी है। उन्होंने अर्जेंट हियरिंग के लिए कल के लिए लिस्ट करने की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी यह मांग खारिज कर दी। 

नई दिल्ली। कर्नाटक में हिजाब को लेकर चल रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर हुई है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सीजेआई एनवी रमण की अदालत में अपना पक्ष रखने की अनुमति मांगी है। उन्होंने सीजेआई ने इस मामले को कल के लिए लिस्ट करने की मांग की। सिब्बल ने कहा -  ये 9 जजों के संविधान पीठ का मामला है। उन्होंने कल के लिए सुनवाई को लिस्ट करने की मांग की है। हालांकि, सिब्बल की इस मांग पर सीजेआई (CJI) एनवी रमना ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है। पहले हाईकोर्ट को फैसला करने दें। इसे लेकर ऐसी कोई जल्दबाजी नहीं है। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर हम मामले की सुनवाई करेंगे तो हाईकोर्ट सुनवाई नहीं करेगा। हम मामले में क्यों कूदें। यह कहकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की तारीख देने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई आज दोपहर 2:30 बजे से होनी है। बुधवार को हुई सुनवाई में सिंगल बेंच ने बड़ी बेंच को मामला ट्रांसफर करने की बात कही थी। कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जस्टिस जेएम खज़ी की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। 

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कर्नाटक हाईकोर्ट में आज दोपहर सुनवाई
बुधवार को हुई सुनवाई में कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High court ) के जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने मुस्लिम छात्राओं की याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेजने की बात कही थी। इसके बाद चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच बनाई गई है। इसमें एक मुस्लिम जज भी शामिल हैं। हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका में छात्राओं ने दावा किया था कि उन्हें स्कार्फ न पहनने के सरकारी आदेश के कारण कॉलेजों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। जस्टिस कृष्णा द्वारा बड़ी बेंच के पास भेजने के विचार के बाद चीफ जस्टिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए इसे तेजी से निपटाने के लिए तुरंत सुनवाई की स्वीकृति दी और बड़ी बेंच का गठन किया।  

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दो महीने में कोई आसमान नहीं गिर जाएगा, पढ़ें सुनवाई में किसने क्या कहा
बुधवार को कोर्ट में पेश हुए याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने अदालत से छात्रों को अंतरिम राहत देने का आग्रह किया है। उनका तर्क है कि उनके पास शैक्षणिक वर्ष के केवल दो महीने बचे हैं। उन्हें बाहर न करें... हमें एक ऐसा रास्ता खोजने की जरूरत है, जिससे कोई भी बच्ची शिक्षा से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि आज जो बेहद जरूरी है, वह यह है कि शांति आए, कॉलेज में संवैधानिक व्यवस्था लौट आए। दो महीने तक कोई आसमान नहीं गिरेगा...

कॉलेज विकास समिति ने कहा- आदेश पूरी तरह सही 
कॉलेज विकास समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने दलील दी कि याचिकाओं में उठाए गए सवाल पूरी तरह से जस्टिस दीक्षित के रोस्टर में आते हैं। इसलिए उन्होंने कोर्ट से पक्षकारों को सुनने के बाद मामले का फैसला करने का आग्रह किया। इस दौरन महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने अंतरिम राहत दिए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा- मेरे काबिल दोस्त (कामत) ने अपनी दलीलें पूरी कर ली हैं। अब, राज्य को बहस करने देना चाहिए। फिर न्यायालय को फैसला करना है ... मैं कहना चाहता था कि याचिकाएं गलत हैं। उन्होंने जीओ पर सवाल उठाया है। प्रत्येक संस्थान को स्वायत्तता दी गई है। राज्य कोई निर्णय नहीं लेता है। आखिरकार कोर्ट ने छात्रों और जनता से सरकारी आदेश के विरोध के मद्देनजर शांति और शांति बनाए रखने की अपील की और मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया। 

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कुछ शरारती तत्व दे रहे हैं मामले को तूल'
जस्टिस दीक्षित ने लोगों को भारतीय संविधान में भरोसा रखने की सीख देते हुए कहा कि कुछ शरारती तत्व ही इस मामले को तूल दे रहे हैं। आंदोलन, नारेबाजी और विद्यार्थियों का एक दूसरे पर हमला करना अच्छी बात नहीं है। इस बीच बेंगलुरू पुलिस ने भी कॉलेज और स्कूलों के पास धारा 144 लगाकर 200 मीटर के दायरे में भीड़ न जुटने के आदेश दिए हैं।

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