कर्नाटक के नये मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को शपथ ले ली। इससे पहले वे सुबह बेंगलुरु में भगवान श्री मारुति मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे। बता दें कि बीएस येदियुरप्पा ने ही उनका नाम सुझाया था।
बेंगलुरु. कर्नाटक के नये मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को पद की शपथ ले ली। राज्य की बागडोर संभालने से पहले वे सुबह बेंगलुरु स्थित भगवान श्री मारुति मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने पूजा-अर्चना की। बता दें कि 75 प्लस फॉर्मूले के कारण बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि येदियुरप्पा ने ही बोम्मई के नाम का सुझाव दिया था। भाजपा 75 साल से अधिक आयु के नेताओं को विश्राम दे रही है। राज्य के 11वें मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई (S.R.Bommai) के पुत्र हैं। 2008 में विधानसभा में पहुंचने के बाद वे जल संसाधन मंत्री बनाए गए थे। 2019 में सहकारिता मंत्री बनें। येदियुरप्पा सरकार के इस कार्यकाल में वह कानून व संसदीय कार्य विभाग संभालने के बाद से मुख्यमंत्री बनने तक गृह मंत्रालय संभाल रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बसवराज बोम्मई को बधाई है। मोदी ने कहा-वह अपने साथ समृद्ध विधायी और प्रशासनिक अनुभव लाए हैं। मुझे विश्वास है कि वह राज्य में हमारी सरकार द्वारा किए गए असाधारण कार्यों को आगे बढ़ाएंगे। फलदायी कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।
1998 में पहली बार बने थे एमएलसी
बसवराज बोम्मई की राजनीतिक शुरूआत जनता दल (Janta Dal) से हुई। जनता दल से वह पहली बार 1998 में कर्नाटक विधान परिषद (Karnataka Legislative Assembly) का सदस्य चुने गए थे। इसके बाद वह 2004 में भी विधान परिषद में रहे। जनता दल का विघटन होने के बाद वह जनता दल यू (JDU) में रहे। लेकिन फरवरी 2008 में वह जदयू को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ले ली। भारतीय जनता पार्टी से बसवराज 2008 का विधानसभा चुनाव शिगगांव (Shiggaon) से लड़े और विजयी हुई।
एसआर बोम्मई कर्नाटक के रह चुके हैं मुख्यमंत्री
उनके पिता एसआर बोम्मई राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। एसआर बोम्मई कर्नाटक के बड़े नेताओं में शुमार रहे हैं। राज्य के 11 वें मुख्यमंत्री होने के बाद वह 1990 में जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें। एसआर बोम्मई 1996 तक जनता दल के अध्यक्ष रहे।
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मंगलवार को नेता के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बेंगलुरु पहुंचे थे। केंद्रीय पर्यवेक्षकों धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) व जी.किशन रेड्डी (G.Kishan Reddy) की देखरेख में हुई बैठक के बाद बोम्मई के नाम की घोषणा की गई थी।
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