कठुआ गैंग रेप-2018: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने शातिर अपराधी के मंसूबों पर फेरा पानी, पढ़िए पूरी डिटेल्स

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मासूम के गैंग रेप और फिर मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। वर्ष, 2018 के इस कांड ने सारे देश में आक्रोश जगा दिया था। इस मामले के आरोपी शुभम सांगरा पर अब बालिग की तरह केस चलेगा। अभी तक यह नाबालिग बनकर कड़ी सजा से बचता आ रहा था।

Amitabh Budholiya | Published : Nov 16, 2022 8:30 AM IST / Updated: Nov 16 2022, 02:05 PM IST

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की मासूम के गैंग रेप और फिर मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। वर्ष, 2018 के इस कांड ने सारे देश में आक्रोश जगा दिया था। इस मामले के आरोपी शुभम सांगरा पर अब बालिग की तरह केस चलेगा। अभी तक यह नाबालिग बनकर कड़ी सजा से बचता आ रहा था। पढ़िए पूरी कहानी...


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार(16 नवंबर) को अपने आदेश में कहा कि कठुआ में 8 साल की खानाबदोश बच्ची से गैंग रेप और हत्या के सनसनीखेज मामले में एक आरोपी शुभम सांगरा अपराध के समय किशोर(juvenile) नहीं था। यानी अब उसे बालिग मानते हुए मुकदमा चलेगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी आरोपी की उम्र तय करने के लिए अगर पुख्ता सबूत नहीं हैं, तो मेडिकलअ ओपेनियन को ही सही माना जाएगा।  जस्टिस अजय रस्तोगी और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कठुआ में चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट और हाईकोर्ट के उन आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी शुभम सांगरा नाबालिग था, इसलिए उस पर अलग से मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

जस्टिस परदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हमने CJM कठुआ और हाईकोर्ट के फैसलों को खारिज कर दिया और कहा कि आरोपी अपराध के समय किशोर नहीं था। नाबालिग लड़की को 10 जनवरी 2018 को किडनैप कर लिया गया था। उसे चार दिनों तक नशीला पदार्थ देकर छोटे से गांव में एक धार्मिक स्थल के अंदर बंधक बनाकर रखा गया था। वहां उसके साथ गैंग रेप किया गया। बाद में उसे पीट-पीटकर मार डाला गया था। टॉप कोर्ट ने 7 फरवरी, 2020 को सांगरा के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा दावा किए जाने के बाद कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी कि जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने 2018 में अपराध के समय उसे किशोर के रूप में रखने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश की गलत पुष्टि की थी।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया ने कहा था कि हाईकोर्ट ने 11 अक्टूबर, 2019 को लोअर कोर्ट के 27 मार्च, 2018 के आदेश की गलत पुष्टि की थी, बिना यह समझे कि नगरपालिका और स्कूल के रिकॉर्ड में दर्ज जन्म तिथि अलग-अलग है। पटवालिया ने कहा कि प्रशासन की अपील पर 6 जनवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 'नाबालिग' आरोपी को नोटिस जारी किए जाने के बावजूद JJB ने उसे नाबालिग मानते हुए अपनी कार्रवाई जारी रखी थी। सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया ने तर्क दिया था कि आरोपी, जिसे उस समय किशोर माना गया था, वो पूरी घटना के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था। उसने पीड़िता का अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या कर दी थी।

संघ प्रशासन (यूटी) ने कहा था कि हाईकोर्ट द्वारा 21 फरवरी, 2018 के अपने आदेश द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने राय दी थी कि अपराध के समय आरोपी की आयु 19 से 23 वर्ष के बीच थी। जेजेबी ने 2019 में 'नाबालिग' के खिलाफ आरोप तय किए थे और अभियोजन पक्ष के गवाहों के एग्जामिनेशन की कार्यवाही जारी रखी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई, 2018 को मामले की सुनवाई जम्मू के कठुआ से पंजाब के पठानकोट में ट्रांसफर कर दी थी। कुछ वकीलों द्वारा इस सनसनीखेज मामले में क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को चार्जशीट दाखिल करने से रोकने के बाद रोजाना सुनवाई का आदेश दिया था। विशेष अदालत ने 10 जून, 2019 को देश को हिला देने वाले जघन्य अपराध के लिए तीन लोगों को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।


पहला आरोपी: सांजी राम 'देवस्थानम' (मंदिर) का केयरटेकर था। यह मामले का मास्टरमाइंड रहा है। यही वो जगह है, जहां जनवरी, 2018 में अपराध हुआ था।

दूसरा आरोपी: दीपक खजूरिया है। यह उस समय एक विशेष पुलिस अधिकारी था। इस पर बच्ची को नशीली दवाएं देकर रेप करने और फिर गला घोंटकर मार डालने का आरोप है।

तीसरा आरोपी-परवेश कुमार। परवेश ने बच्ची के साथ रेप किया और गला दबाकर उसकी हत्या की।

तीनों को आजीवन कारावास की सजा रणबीर पैनल कोड(Ranbir Penal Code-RPC) की धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, हत्या, अपहरण, सामूहिक बलात्कार, सबूत नष्ट करने, पीड़िता को नशीला पदार्थ देने आदि धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था।

अन्य तीन आरोपियों- सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा को अपराध को कवर करने के लिए सबूत नष्ट करने का दोषी ठहराया गया था। इन्हें पांच साल की जेल और प्रत्येक को 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

ट्रायल कोर्ट ने सातवें आरोपी सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा ​​को 'संदेह का लाभ' देते हुए बरी कर दिया था।


4 जनवरी 2018: साजिशकर्ता सांजी राम ने बकरवाल समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए खजुरिया और परवेश कुमार की साजिश के लिए अपने भतीजे शुभम सांगरा को तैयार किया।

7 जनवरी 2018: दीपक खजुरिया और उसके दोस्त विक्रम ने नशे की गोलियां खरीदीं। सांजी राम ने भतीजे के जरिये बच्ची का किडनैप कराया।

8 जनवरी 2018: शुभम सांगरा ने अपने एक दोस्त को साजिश के बारे में बताया।

9 जनवरी 2018: शुभम सांगरा ने भी कुछ नशीली दवाएं खरीदीं।

10 जनवरी 2018: शुभम मासूम बच्ची को उसके घोड़ा ढूंढ़ने में मदद के बहाने। जंगल में ले गया। वहां जब बच्ची ने भागने की कोशिश की, तो सभी आरोपियों ने से पकड़ लिया। फिर उसे नशीली दवाएं खिलाकर घटनास्थल पर ले गए।

11 जनवरी 2018: शुभम सांगरा ने अपने दोस्त और सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को भी इस अपराध में शामिल कर लिया।

12 जनवरी 2018: मासूम के साथ फिर रेप किया गया। दीपक खजुरिया खुद पुलिस की जांच टीम में शामिल था। वह सांजी राम के घर पहुंचा। हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज ने सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता के लिए 1.5 लाख रुपये रिश्वत ले ली।

13 जनवरी 2018: विशाल, सांजी राम और नाबालिग ने लड़की के साथ रेप करके उसे नशीली दवाएं दीं, फिर मार दिया।

15 जनवरी 2018: मासूम की लाश को जंगल में फेंक दिया गया।

17 जनवरी 2018: पुलिस को जंगल से मासूम बच्ची का शव मिला।

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