केरल में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। वहीं, नतीजे 2 मई को आएंगे। इसी दिन बाकी चार राज्यों यानी प बंगाल, असम, तमिलनाडु और पुडुचेरी के भी चुनाव नतीजे आएंगे। 140 सीटों वाले केरल में सिर्फ एक चरण में चुनाव होंगे।
तिरुवनन्तपुरम. केरल में 6 अप्रैल को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। वहीं, नतीजे 2 मई को आएंगे। इसी दिन बाकी चार राज्यों यानी प बंगाल, असम, तमिलनाडु और पुडुचेरी के भी चुनाव नतीजे आएंगे। 140 सीटों वाले केरल में सिर्फ एक चरण में चुनाव होंगे।
केरल : एक चरण में मतदान
अभी यहां पर सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार है। पिनराई विजयन यहां के सीएम हैं। केरल के भौगोलिक स्थिति की बात करें तो ये प्रमुख पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। यहां हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं।
केरल में कितने विधानसभा और लोकसभा सीटें हैं?
केरल में 14 जिले हैं। यहां का सबसे बड़ा शहर केरल की राजनाधी तिरुवनन्तपुरम ही है। यहां की राजभाषा मलयालम है। केरल में 140 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और 20 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
केरल की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कौन सी हैं?
इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, केरल में 39 पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन प्रमुख पार्टियों की बात करें तो केरल में नेशनल पार्टियों में बहुजम समाज पार्टी Bahujan Samaj Party (बसपा), भारतीय जनता पार्टी Bharatiya Janata Party (भाजपा), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया Communist Party of India, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया Communist Party of India (Marxist) (एम), इंडियन नेशनल कांग्रेस Indian National Congress (कांग्रेस) हैं। वहीं स्थानीय पार्टियों में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग Indian Union Muslim League (मुस्लिम लीग), जनता दल Janata Dal (Secular) (सेक्युलर), केरला कांग्रेस Kerala Congress हैं।
केरल में किन-किन विचारधाराओं के बीच लड़ाई?
वाम या केंद्र-वाम राजनीति : केरल को वाम या केंद्र-वाम राजनीति का गढ़ माना जाता है। यह पहला राज्य हैं जहां वोट के जरिए कम्युनिस्ट (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) सत्ता में आई। उत्तरी केरल, विशेष रूप से कन्नूर और मध्य केरल के पलक्कड़ को आम तौर पर कम्युनिस्ट समर्थकों का गढ़ माना जाता है। कोल्लम और अलापुझा जिले के लोगों का भी आम तौर पर वाम या केंद्र-वाम दलों की ओर झुकाव है।
कांग्रेस की राजनीति : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस केरल में संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा के रूप में चुनाव में है। यह गठबंधन 1978 में कांग्रेस (तब कांग्रेस-इंदिरा के रूप में जानी जाती थी) पार्टी के नेता के करुणाकरन द्वारा किया गया था। पार्टी के पास केरल के एर्नाकुलम और कोट्टायम क्षेत्रों में मजबूत आधार हैं।
साम्यवादी राजनीति : इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का एक प्रमुख सदस्य है। मध्य केरल में मलप्पुरम जिले में पार्टी का मजबूत आधार हैं।
दक्षिणपंथी राजनीति : केरल में दक्षिणपंथी राजनीति का प्रतिनिधित्व भारतीय जनता पार्टी करती है। वोट शेयर के मामले में केरल में भाजपा तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।
यह आंकड़े केरल विधानसभा चुनाव 2016 के हैं
केरल में विधानसभा चुनाव 2016 का रिजल्ट
केरल विधानसभा चुनाव 2016 में एलडीएफ को 91 और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को 47 सीटें मिली थीं। यहां बहुमत के लिए 71 सीटें चाहिए।