केरल विस में 2015 में हंगामे पर SC नाराज-विधानसभा छोड़िए; संसद में भी हंगामा होने लगा; मुकदमा तो चलकर रहेगा

केरल विधानसभा में 2015 में हुए हंगामे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए माकपा नेताओं के खिलाफ मामले वापस लेने से इनकार कर दिया। यानी अब उन पर मुकदमा चलेगा।

Asianet News Hindi | Published : Jul 28, 2021 6:17 AM IST / Updated: Jul 28 2021, 12:14 PM IST

नई दिल्ली. संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के हंगामे का असर सुप्रीम कोर्ट तक देखने को मिला है। केरल विधानसभा में वर्ष, 2015 में हुए जबर्दस्त हंगामे के मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह ने संसद में हो रहे हंगामे का उदाहरण देकर नाराजगी जताई। पहले बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल विधानसभा मामले में फैसला दिया है कि हंगामे के लिए दोषी माकपा के प्रमुख नेताओं के खिलाफ मामले वापस नहीं होंगे। उन पर ट्रायल(मुकदमा) चलेगा।

विधानसभा छोड़िए अब संसद में हंगामा होने लगा
राज्य सरकार ने माकपा नेताओं के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी और सरकार के याचिका खारिज कर दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायकों को छूट देकर आपराधिक कानूनों के खिलाफ इम्यूनिटी तक नहीं बढ़ाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट करना गलत है। जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि जिन विधायकों ने सदन में माइक फेंका, उनका व्यवहार देखिए। उन्हें अब मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। अब विधानसभा छोड़िए, संसद में भी हंगामा होने लगा है। इससे जनता पर क्या असर पड़ेगा?

विधायकों का विशेषाधिकार बच निकलने के लिए नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों का विशेषाधिकार उन्हें आपराधिक कानून से छूट नहीं देता। यह विशेषाधिकार कुछ भी करने और उससे बच निकलने की छूट नहीं देता है। अगर इन विधायकों के खिलाफ मामले वापस ले लिए, तो यह लोकहित में नहीं होगा।

तब वामपंथी विपक्ष में थे
जब विधानसभा में यह हंगामा हुआ था, तब मौजूदा वामपंथी सरकार विपक्ष में थी। आदेश के अनुसार राज्य के वर्तमान शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी सहित छह आरोपियों पर मुकदमे की सुनवाई चल रही है। राज्य विधानसभा में 13 मार्च, 2015 को अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला था, जब एलडीएफ सदस्यों ने उस समय विपक्ष में तत्कालीन वित्त मंत्री केएम मणि को राज्य का बजट पेश करने से रोकने की कोशिश की थी, जो बार रिश्वत घोटाले में आरोपों का सामना कर रहे थे। विपक्षी सदस्यों ने स्पीकर की कुर्सी को हटाने के अलावा, पीठासीन अधिकारी के डेस्क पर लगे कंप्यूटर, की-बोर्ड और माइक जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी तोड़फोड़ दिए थे।
 

यह भी पढ़ें
सदन ही नहीं; twitter पर भी राहुल गांधी हंगामा बरपाए हुए हैं, इधर मीटिंग हो रही थी, उधर कर दिया एक tweet
नकारात्मक विपक्ष को हल्ला बिना नींद नहीं आती...राहुल गांधी एंड टीम परफॉर्मेंस पर PM-उनके मंत्री ने क्या कहा

 

Share this article
click me!