हिंदू देवी-देवताओं को घर घर पहुंचाने वाले महान चित्रकार थे राजा रवि वर्मा, उनकी लाइफ पर बनी ये फिल्म

भारत इस साल अपनी आजादी का अमृत महोत्सव (Aazadi Ka Amrit Mahotsav) मना रहा है। 15 अगस्त, 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर हम बता रहे हैं भारत की उन महान हस्तियों के बारे में, जिन्होंने देश का नाम रोशन किया। इन्हीं में से एक हैं महान चित्रकार राजा रवि वर्मा। 

India@75: भारत इस साल अपनी आजादी का अमृत महोत्सव (Aazadi Ka Amrit Mahotsav) मना रहा है। 15 अगस्त, 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस महोत्सव की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 को गुजरात के साबरमती आश्रम से की थी। आजादी का अमृत महोत्सव अगले साल यानी 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा। बता दें कि आजादी से पहले भी हमारे देश में कई मशहूर हस्तियां पैदा हुईं। इन्हीं में से एक थे महान चित्रकार राजा रवि वर्मा। उन्हें फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट भी कहा जाता है।  

हिंदू देवी-देवताओं को घर-घर पहुंचाया : 
भारत के सबसे महान चित्रकारों में राजा रवि वर्मा का नाम सबसे ऊपर है। राजा रवि वर्मा ऐसे पहले चित्रकार थे, जिन्होंने हिंदू देवी-देवताओं को न सिर्फ आम इंसान जैसा दिखाया, बल्कि उनकी तस्वीरों को घर-घर पहुंचाया। चित्रकारी में उन्होंने ऐसे-ऐसे प्रयोग किए जिनकी वजह से हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए। आज हम जो भी फोटो, पोस्टर, कैलेंडर वगैरह में सरस्वती मां, लक्ष्मी, दुर्गा, राधा या कृष्ण की जो पेंटिंग्स देखते हैं वो ज्यादातर राजा रवि वर्मा की ही बनाई हुई हैं।   

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5 साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी चित्रकारी : 
राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल, 1848 को केरल के किलिमानूर पैलेस में हुआ था। महज 5 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों पर दैनिक जीवन की घटनाओं को उकेरना शुरू कर दिया था। इसके बाद उनके पहले गुरु और चाचा राजराजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें चित्रकारी की प्रारंभिक शिक्षा दी। उनके चाचा उन्हें 14 साल की उम्र में तिरुवनंतपुरम ले गए और वहां राजमहल में उन्होंने तैल चित्रण की शिक्षा ली।  

14 साल की उम्र में सीखी चित्रकला की बारीकियां : 
राजा रवि वर्मा ने चित्रकारी तब सीखी, जब आज की तरह बाजारों में चित्रकारी के लिए न तो रंग मिलते थे और ना ही उस तरह का कैनवास होता था। बल्कि चित्रकारों को पौधों और फूलों को मिलाकर रंग तैयार करना पड़ता था। रवि वर्मा ने  1862 में 14 साल की उम्र में अपने चाचा राजराजा वर्मा के साथ तिरुवनंतपुरम के महाराजा आयिल्यम तिरुनाल से मिले और फिर राजमहल में ही रहकर चित्रकला की बारीकियां सीखीं। 

कई कलाकृतिकयों को मिला पुरस्कार : 
रवि वर्मा ने वेस्टर्न स्टाइल पेंटिंग्स और ऑयल पेंटिंग की टेक्नीक थियोडोर जेंसन से सीखी। जेंसन एक डच चित्रकार थे, जो 1868 में त्रिवेंद्रम पैलेस आए थे। उस दौरान राजा रवि वर्मा ने महाराजा और राज परिवार के कई लोगों की तस्वीरें बनाईं। उन्हें पेंटिंग 'मुल्ल्प्पू चूडिया नायर स्त्री' से पहचान मिली। इसके लिए 1873 में चेन्नई में आयोजित पेंटिंग एग्जीबिशन में उन्हें प्रथम पुरस्कार भी मिला। इस पेंटिंग को ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में आयोजित हुई एग्जीबिशन में भी सम्मानित किया गया। 

राजा रवि वर्मा की लाइफ पर बनी फिल्म : 
प्रोड्यूसर केतन मेहता ने राजा रवि वर्मा की लाइफ पर बेस्ड फिल्म बनाई। इस फिल्म में राजा रवि वर्मा की भूमिका रणदीप हुड्डा ने निभाई। फिल्म की एक्ट्रेस नंदना सेन हैं। इस मूवी को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में एक साथ बनाया गया। अंग्रेजी में इसका नाम कलर ऑफ पैशन्स, जबकि हिंदी में रंगरसिया है। बता दें कि दुनिया की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के बनाए गए चित्रों से बनी है। 40 लाख रुपए की ये साड़ी दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है। 

राजा रवि वर्मा हैं फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट : 
राजा रवि वर्मा को फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट के नाम से जाना जाता है। अक्टूबर, 2007 में राजा रवि वर्मा की ब्रिटिश राज के दौरान बनाई गई एक पेंटिंग 1.24 मिलियन डॉलर (1 करोड़ रुपए) में बिकी। इसमें त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को दिखाया गया है, जोकि उस समय के मद्रास ब्रिटिश गवर्नर जनरल रिचर्ड टेम्पल ग्रेनविले का स्वागत में खड़े हुए हैं। इसके अलावा उनकी एक पेंटिंग 21.16 करोड़ रुपए में बिकी। 'द्रौपदी वस्त्रहरण' नाम की इस पेंटिंग में दुशासन को कौरवों और पांडवों से घिरी द्रौपदी की साड़ी उतारने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है। 

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