हैदराबाद की पहली बहुमंजिला इमारत थी चारमीनार, टॉप पर पहुंचने के लिए चढ़नी पड़ती हैं 149 सीढ़ियां

16वीं शताब्दी के आखिरी में हैदराबाद में प्लेग महामारी खत्म हो गई थी। तब इसका जश्न मनाने इस इमारत का निर्माण कराया गया था। कुली कुतुब शाह ने महामारी पर जीत को दिखाने इसका निर्माण करवाया और पर्शियन आर्किटेक्ट से शहर विकसित करवाया।

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2022 8:56 AM IST / Updated: Aug 07 2022, 02:41 PM IST

Dil Se Desi : देश आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) में सराबोर है। इसकी शुरुआज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मार्च 2021 में की थी। 15 अगस्त, 2022  को आजादी के 75 साल पूरे होने वाले हैं। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं उन मशहूर और यादगार स्मारक, मंदिर व म्यूजियम के बारें में, जो हिंदुस्तान की आन-बान और शान हैं। 'Dil Se Desi' सीरीज में बात लैंड ऑफ निजाम हैदराबाद की ऐतिहासिक स्मारक चार मीनार (Charminar) की...

चारमीनार नाम क्यों
चारमीनार का निर्माण इंडो-इस्लामिक कला के आधार पर किया गया था। इस इमारत से ही हैदराबाद शहर की ऐतिहासिक पहचान है। यह शहर के केंद्र में बनाया गया है।  इस ऐतिहासिक इमारत की संरचना की वजह से इसका नाम चारमीनार रखा गया है। इमारत में चार मीनारें हैं और हर मीनार में 4 मंजिल। चारमीनार में पत्थरों की बालकनी बनी हुई है। एक छत और दो गैलरी भी इसमें हैं। कहा जाता है की चारमीनार की चार मीनारें इस्लाम के पहले चार खलीफों का प्रतीक है।

400 साल पुराना है चारमीनार का इतिहास
चारमीनार भारत के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है। पांचवें कुतुबशाही निजाम शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 में इसका निर्माण करवाया था। इसका निर्माण तब कराया गया था, जब राजधानी गोलकुंडा से हैदराबाद स्थानांतरित की गई थी। इसके बाद पर्शियन आर्किटेक्ट ने हैदराबाद शहर को विकसित किया था। कहा यह भी जाता है कि गोलकोंडा किले को चारमीनार से जोड़ने के लिए एक अंडरग्राउंड सुरंग भी बनाई गई है। माना जाता है कि घेराबंदी से बचने कुली कुतुब शाह ने सुरंग का निर्माण कराया था, हालांकि सुरंग कहां है यह अभी तक रहस्य ही है। 

हैदराबाद की पहली बहुमंजिला इमारत
चारमीनार हैदराबाद की पहली बहुमंजिला इमारत है। मीनार की मुख्य गैलरी में 45 लोग एक साथ इबादत कर सकते हैं। मीनार के सबसे ऊपर पहुंचने के लिए 149 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। सभी मिनारें 149 सीढ़ियों से अलग की गई हैं। मीनार की हर तरफ एक बड़ा वक्र बनाया गया है। यह 11 मीटर चौड़ा और 20 मीटर ऊंचा है। हर वक्र पर एक घड़ी लगाई गई है, जिसका निर्माण 1889 में हुआ था।

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