RK Laxman के कार्टूनिस्ट बनने की कहानी, छोटी उम्र में ही टीचर ने कहा था- एक दिन तुम महान चित्रकार बनोगे

आरके लक्ष्मण देश के पहले ऐसे कार्टूनिस्ट थे, जिनकी एग्जीबिशन लंदन में लगाई गई। पुणे की सिंबोसिस इंस्टीट्यूट में उनकी तांबे की स्टैच्यू है। सिंबोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में एक चेयर का नाम कॉमन मैन आरके लक्ष्मण के नाम पर ही रखा गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 7, 2022 7:50 AM IST / Updated: Aug 07 2022, 01:38 PM IST

Best of Bharat : 15 अगस्त, 2022 को भारत की आजादी को 75 साल पूरे होने जा रहा है। देश में आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) चल रहा है। इसकी शुरुआज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi ) ने मार्च 2021 में की थी। ऐसे में हम आपको देश के उन मशहूर कार्टूनिस्ट के बारें में बता रहे हैं, जिनकी कागजों पर खींची 'आम' लकीरों खास बनी और आज भी वे जीवंत हैं। 'Best of Bharat'सीरीज में बात आम आदमी के कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण (RK Laxman) की...

लाइफ ऑफ 'कॉमन मैन' कार्टूनिस्ट 
कर्नाटक के मैसूर में एक स्कूल शिक्षक के घर 24 अक्टूबर 1921 को  रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण यानी आरके लक्ष्मण का जन्म हुआ था। उनके बड़े भाई आरके नारायण बड़े लेखक और उपन्यासकार थे। उन्होंने ने ही मालगुडी डेज, गाइड जैसे मशहूर उपन्यास की रचना की थी। लक्ष्मण की पहली शादी फिल्म एक्ट्रेस कुमारी कमला लक्ष्मण के साथ हुआ। वह एक भारतनाट्यम नर्तकी भी थी। लेकिन बाद में दोनों का तलाक हो गया। लक्ष्मण ने बाद में दूसरी शादी कि और दूसरी पत्नी का नाम भी कमला लक्ष्मण ही था। वे एक राइटर थी और बाल-किताबें लिखा करती थीं। दूसरी पत्नी से लक्ष्मण को एक बेटा हुआ। 26 जनवरी, 2015 को 94 साल की उम्र में आरके लक्ष्मण ने पुणे में अंतिम सांस ली।

फ्रीलांस कार्टूनिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत
आरके लक्ष्मण ने सर जमशेदजी स्कूल ऑफ आर्ट से पढ़ाई की। महाराजा कॉलेज, मैसूर से उन्होंने हायर एजुकेशन प्राप्त की। बीए की डिग्री के बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए ही स्वराज नाम के एक अखबार में फ्रीलांस कलाकार के तौर पर कार्टून बनाने का काम शुरू कर दिया। यहीं से उन्हें पहचान मिली। पहली बार पूरी तरह से काम उन्होंने मुंबई की द फ्री प्रेस जर्नल के साथ की। यहां वे बतौर राजनीतिक कार्टूनिस्ट काम करते थे। इसी पत्रिका में बाल ठाकरे से उनकी मुलाकात हुई और दोनों में अच्छी दोस्ती थी। एनिमेटेड फिल्मों में लक्ष्मण ने नारद का चित्रांकन किया। स्वराज और ब्लिट्ज के बाद उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में बड़े भाई आरके नारायण की कहानियों को चित्रित करना शुरू किया। थोड़े ही दिन में उनका काम बोलने लगा। 

जब टीचर ने कहा-तुम महान चित्रकार बनोगे
आरके लक्ष्मण जब स्कूल में पढ़ रहे थे, तब एक दिन टीचर ने क्लास में बच्चों को अपनी-अपनी स्लेट पर पत्ते का चित्र बनाने को कहा। सभी बच्चे इसे बनाने में जुट गए। जब समय खत्म हुआ तो शिक्षक एक-एक बच्चे के पास पहुंचे लेकिन जब बारी लक्ष्मण की आई तो उनका स्लेट देख शिक्षक ने जोर से कहा- 'लक्ष्मण ! तुमने क्या बनाया है?, इधर लाओ दिखाओ स्लेट' यह सुन लक्ष्मण घबरा गए और उन्होंने धीमी आवाज में बताया 'सर, पीपल का पत्ता' लक्ष्मण को लगा उन्होंने कोई गलती कर दी है और अब मास्टर जी की मार पड़ने वाली है लेकिन अगले ही पल टीचर ने क्लास के सभी बच्चों से कहा- 'ध्यान से देखो, ऐसा होता है पत्ता। यह पत्ता स्लेट में बना है लेकिन बिल्कुल असली लग रहा है। इस चित्रकारी के लिए लक्ष्मण को पूरे मार्क्स मिले और टीचर ने उन्हें शाबासी देते हुए कहा- 'बेटा, यह बात निश्चित है कि एक दिन तुम महान चित्रकार बनोगे।'

आरके लक्ष्मण की किताबें जो फेमस हुईं
द मेसेंजर
दि एलोक्वोयेन्ट ब्रश
सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडिया
द बेस्ट ऑफ लक्ष्मण सीरीज
होटल रिवीयेरा
टनल टू टाइम (आत्मकथा)

'कॉमन मैन' का सम्मान
आम लोगों के कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण को साल 1973 में भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण के सम्मान से नवाजा गया। पुणे में साल 2001 में उनकी 8 फीट एक प्रतिमा लगाई गई। 2005 में उन्हें पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया। डाक विभाग ने कॉमन मैन पर 1988 में एक डाक टिकट जारी किया।

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