राज्यसभा से भी पास हुआ लेबर कोड बिल, श्रम सुधारों में एतिहासिक संशोधन हुए

बुधवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में केंद्र सरकार ने  नए श्रम बिलों को पास करा दिया गया। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार के मुताबिक नए श्रम कानून से देश के संगठित व असंगठित दोनों ही प्रकार के श्रमिकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं मिलेंगी। इस कानून के तहत सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा। इसमें सभी श्रमिकों का साल में एक बार का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है। वहीं, उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान लाए गए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 23, 2020 4:10 PM IST

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा (Rajya Sabha)में  नए श्रम बिलों को पास करा दिया गया। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार के मुताबिक नए श्रम कानून से देश के संगठित व असंगठित दोनों ही प्रकार के श्रमिकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं मिलेंगी। इस कानून के तहत सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा। इसमें सभी श्रमिकों का साल में एक बार का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है। वहीं, उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान लाए गए हैं। इसे लोकसभा से पहले ही पास करा दिया गया था।

केंद्र सरकार ने सभी श्रम कानूनों को चार लेबर कोड (labour code bills) में शामिल करने का काम 2014 में शुरू किया था। कुल 44 श्रम कानूनों में से 12 कानूनों को इसमें पहले ही शामिल किया जा चुका था। शेष 29 कानूनों को अब चार लेबर कोड में शामिल किया गया है। 

श्रम मंत्री गंगवार ने आज राज्यसभा में बताया कि पहला कोड ऑन वेजेज (Code on Wages Bill) अगस्त, 2019 में ही सदन द्वारा पारित किया जा चुका है। इस कानून के द्वारा ही सरकार देशभर के 50 करोड़ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी तथा समय पर वेतन मिलने का कानूनी अधिकार दिया था। अब इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने शेष तीन लेबर कोड बिल राज्यसभा से पास कराएं हैं।  
 
(1) इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020 (Industrial Relations Code 2020)

इसके तहत अब जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी। अब तक ये प्रावधान सिर्फ उन्हीं कंपनियों के लिए था, जिसमें 100 से कम कर्मचारी हों। अब नए बिल में इस सीमा को बढ़ाया गया है। छंटनी या शटडाउन की इजाज़त उन्हीं ऑर्गनाइज़ेशन को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज़ औसतन 300 से कम ही रही हो। इसके अलावा ये बिल कहता है कि किसी भी संगठन में काम करने वाला कोई भी कामगार बिना 60 दिन पहले नोटिस दिए हड़ताल पर नहीं जा सकता। फिलहाल ये अवधि छह हफ्ते की है।

(2) ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020 (Occupational Safety, Health & Working Conditions Code)

ये बिल कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें। साथ ही कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार और कितने भी समय के लिए बढ़ाया जा सकेगा। इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। वो प्रावधान भी अब हटा दिया गया है, जिसके तहत किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक थी। इसमें महिलाओं के लिए वर्किंग आवर (काम के घंटे) सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा। शाम 7 बजे शाम के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में छह दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता। ओवरटाइम कराने पर उस दिन का दोगुना पैसा। इसके साथ ही बिना अपॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं होगी।

(3) सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020  (Code On Social Security 2020)

सोशल सिक्‍योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा इसके लिए पांच साल पूरे करने की जरुरत नहीं है।  ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है। पिछले कुछ साल से वर्किंग यूनियंस की तरफ से लगातार ये मांग उठ रही थी कि नौकरी करने के नए तौर-तरीकों में पांच साल का वक्त बहुत ज़्यादा है। इसे एक साल या तीन साल किया जाए। इसी के बाद ये संशोधन किया गया है।

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