लद्दाख: पीछे हटने के मूड में नहीं भारत, बातचीत के साथ सैन्‍य कार्रवाई के विकल्‍प पर भी चल रहा विचार

चीन के साथ लद्दाख में सीमा को लेकर विवाद चरम पर है। जहां एक ओर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं रहा, वहीं, दूसरी ओर भारत भी पीछे हटने को तैयार नहीं। अब भारत सरकार के शीर्ष नेतृत्व में एक राय बनती नजर आ रही है। 

नई दिल्‍ली. चीन के साथ लद्दाख में सीमा को लेकर विवाद चरम पर है। जहां एक ओर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं रहा, वहीं, दूसरी ओर भारत भी पीछे हटने को तैयार नहीं। अब भारत सरकार के शीर्ष नेतृत्व में एक राय बनती नजर आ रही है। शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि चीन से सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत तो चलती रहना चाहिए, लेकिन जरूरत पड़ने पर टकराव या लड़ाई के लिए भी पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। 

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एलएसी पर चल रहे विवाद को लेकर मोदी सरकार के शीर्ष नीति निर्धारकों के बीच एक विचार विमर्श हुआ है। इसमें 'टकराव और लड़ाई' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है। इस चर्चा में शामिल एक शीर्ष पदस्थ सूत्र ने बताया, भारत टकराव को आगे नहीं बढ़ाना चाहता लेकिन चीन के सामने झुककर समझौता नहीं करेगा। 

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हम सामना करेंगे
सूत्र ने कहा, हम उनका सामना करेंगे, पीछे नहीं हटेंगे। इतना ही नहीं सैन्य कार्रवाई के परिणाणों के सवाल पर उन्होंने कहा, सरकार ने विचार किया है कि अगर परिणाम की चिंता करेंगे तो आगे कैसे बढ़ पाएंगे। उन्होंने कहा, 20 सैनिकों की शहादत के बाद चीन की ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे सरकार को ऐसा लगे कि उन्होंने तनाव कम करने की कोशिश की। 

हिंसा पर भारत को जिम्मेदार बताना चीन के इरादों को बताता है
उन्होंने कहा, चीन ने हमारे सैनिकों की हत्या की। हमें इसकी उम्मीद नहीं कि वे शहादत पर दुख जताएं। लेकिन हिंसा के बाद भारतीय सैनिकों को जिम्मेदार बनाने के लिए कहना, उनके इरादों को बताता है। यहां तक कि चीन जो कह रहा है, उस पर भी अमल नहीं कर रहा है। चीन की तरफ से सिर्फ यही कहा गया कि जो हुआ, उसके लिए भारत जिम्मेदार है। 

देश में चीन के खिलाफ बढ़ रहा गुस्सा
चीन के साथ आर्थिक संबंध खत्‍म करने के सवाल पर एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा, यह आसान नहीं, कि किसी के साथ आप जुड़े हो, फिर अलग हो जाओ। लेकिन भारत की विकास की कहानी चीन के साथ संबंधों पर निर्भर नहीं करेगी। देश में चीन के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। हालांकि, हमें देश के आर्थिक हितों को भी ध्यान में रखना होगा। उन्‍होंने कहा कि भारत के पास सैन्‍य और कूटनीतिक दबाव बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्‍प नहीं है।

यह 1962 का भारत नहीं
एक अन्य अधिकारी ने कहा, आज के दिन कोई युद्ध नहीं जीत रहा। साल 2020 का भारत 1962 वाला नहीं है। भारत के पास विशाल वैश्विक गठबंधन है। हमें इसका फायदा उठाना होगा। चीन पूरे क्षेत्र में भय का माहौल बनाना चाहता है। खुद को सुपर पावर के तौर पर स्थापित करना चाहता। लेकिन उसे ये समझना होगा कि उन्हें इस बार ठोस जवाब मिलेगा। 

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