लखीमपुर खीरी हिंसा : रद्द हो सकती है केंद्रीय मंत्री टेनी के बेटे की जमानत, SC की समिति ने की ये सिफारिश

3 अक्टूबर 2021 को यूपी के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत देने का विरोध हो रहा है। पीड़ित परिवारों ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई निगरानी समिति ने भी आशीष की जमानत रद्द करने की सिफारिश की है। 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लखीमपुर खीरी हिंसा (lahimpur Kheri violence) की जांच की निगरानी के लिए नियुक्त समिति की रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश सरकार (Up Government) से जवाब मांगा। रिटायर्ड जस्टिस राकेश कुमार जैन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की सिफारिश की है। दरअसल, पीड़ितों के परिवारों ने आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad high court) के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। समिति का कहना है के इस याचिका को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत 10 फरवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दी गई केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

4 अप्रैल को होगी मामले की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (CJI NV Ramna) की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को 4 अप्रैल के लिए लिस्ट किया और उत्तर प्रदेश सरकार से समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने को कहा। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कोर्ट से कहा कि वह इस संबंध में निर्देश लेंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि राज्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया है। इससे पहले, एक हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य ने लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों और पीड़ितों के परिवारों की सुरक्षा के लिए सभी प्रयास किए हैं। सरकार ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस सभी गवाहों से उनकी सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के लिए नियमित रूप से संपर्क करती है।

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जमानत का विरोध न करने के आरोप गलत : यूपी सरकार 
आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर जवाब देते हुए हलफनामे के जरिये उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया था। यह पूरी तरह से गलत है कि राज्य ने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का प्रभावी ढंग से विरोध नहीं किया। 
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के कुछ दिनों बाद मुख्य संरक्षित गवाहों में से एक पर बेरहमी से हमला किया गया था।

पीड़ितों ने कहा- यूपी सरकार न्याय नहीं दिला पाई
लखीमपुर खीरी कांड के पीड़ितों के परिजनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश (जमानत) को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। विशेष अनुमति याचिका में मृतक के परिवार के सदस्यों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 10 फरवरी, 2022 के आदेश को चुनौती दी, जिसमें आशीष मिश्रा को जमानत दी गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश कानूनन टिकाऊ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में न्याय नहीं दिला पाई है। 

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क्या है लखीमपुर हिंसा मामला
3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसानों सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष को बनाया गया था। पुलिस ने आशीष के खिलाफ कई सबूत होने का दावा किया था। लेकिन फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष को जमानत दी थी, जिसके बाद उसे जेल से रिहा कर दिया गया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस राकेश कुमार जैन की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की थी। 

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