महाराष्ट्र भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन को SC ने बताया असंवैधानिक, कहा- पीठासीन अधिकारी का फैसला मनमाना

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra assembly) से भाजपा (BJP) के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित (Maharashta 12 MLA Suspension) करने के मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा किसी भी विधायक को सत्र की अवधि के बाद निलंबित नहीं रख सकती। 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra assembly) से भाजपा (BJP) के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित (Maharashta 12 MLA Suspension) करने के मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने माना कि सत्र के बाद भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव असंवैधानिक, अवैध और विधानसभा की शक्तियों से परे है। 

सुप्रीम कोर्ट इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने एक ट्वीट किया। उन्होंले लिखा - मानसून सत्र के दौरान OBC के लिए आवाज उठा रहे हमारे 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के ऐतिहासिक निर्णय के लिए हम माननीय सुप्रीम कोर्ट का स्वागत और धन्यवाद करते हैं। फडणवीस ने कहा- हम शुरू से ही कह रहे थे कि कृत्रिम बहुमत बनाने के लिए हमारे विधायकों को इतनी लंबी अवधि के लिए निलंबित करना पूरी तरह से असंवैधानिक और सत्ता का घोर दुरुपयोग था और वह भी बिना किसी वैध कारण के और माननीय एससी ने हमारे रुख को बरकरार रखा है।

5 जुलाई 2021 को 12 विधायकों को निलंबित किया गया था
गौरतलब है कि पिछले साल 5 जुलाई 2021 को सरकार ने सदन से एक साथ 12 भाजपा विधायकों को निलंबित कर दिया था। इन पर विधानसभा के पीठासीन अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार का आरोप था। इन विधायकों ने अपने निलंबन को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट इसी मामले की सुनवाई कर रही थी। इससे पहले 19 जनवरी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि यह निर्णय (विधायकों का निलंबन) लोकतंत्र के लिए खतरा है। 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- निलंबन सत्र से आगे नहीं होना चाहिए
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकील ए सुंदरम के सत्र की अवधि से आगे निलंबन की तार्किकता पर सवाल खड़े किए थे। पीठ ने कहा था कि आप कहते हैं कि कार्रवाई तर्कसंगत होनी चाहिए, तो निलंबन का कुछ उद्देश्य होना चाहिए। यह उस सत्र से आगे के लिए नहीं होना चाहिए। निलंबन के पीछे कोई वाजिब और ठोस कारण होना चाहिए। पीठ ने कहा, एक वर्ष के लिए निलंबन का निर्णय तर्कहीन है क्योंकि संबंधित निर्वाचन क्षेत्र को छह महीने से अधिक समय के लिए प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं किया जा सकता। 

क्यों उठा था विवाद
पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (Maharashtra Assembly Speaker) के कक्ष में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ ‘दुर्व्यवहार’ करने के आरोप में बीजेपी के 12 विधायकों को विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था। इसके बाद इन विधायकों ने निलंबन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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