महुआ मोइत्रा को DoE ने सरकारी बंगला खाली कराने के लिए जारी किया नोटिस, तीन दिनों में मांगा जवाब

Published : Jan 08, 2024, 11:12 PM IST
Lok Sabha panel has written to the housing ministry asking Mahua Moitra to vacate the bungalow bsm

सार

महुआ मोइत्रा को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के संपदा निदेशालय ने नोटिस जारी किया है। संपदा निदेशालय ने महुआ मोइत्रा द्वारा आवास खाली नहीं किए जाने पर नोटिस जारी किया गया है।

Mahua Moitra show cause notice: कैश फॉर क्वेश्चन केस में फंसी टीएमसी की पूर्व लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा को सरकारी बंगला खाली करना होगा। महुआ मोइत्रा को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के संपदा निदेशालय ने नोटिस जारी किया है। संपदा निदेशालय ने महुआ मोइत्रा द्वारा आवास खाली नहीं किए जाने पर नोटिस जारी किया गया है।

8 दिसंबर 2023 को टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को लोकसभा से सदस्यता समाप्त कर दिया गया था। सदस्यता जाने के बाद महुआ मोइत्रा को 7 जनवरी तक घर खाली करने के लिए कहा गया था। लेकिन आवास खाली नहीं किए जाने के बाद डॉयरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स ने शो कॉज नोटिस जारी किया है।

तीन दिनों में देना होगा जवाब

लोकसभा से निस्कासित सांसद महुआ मोइत्रा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में उनसे पूछा गया है कि वह सरकारी बंगला खाली क्यों नहीं की हैं। उनको तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है।

हाईकोर्ट ने दिया डीओई से संपर्क करने का आदेश

हालांकि, बीते 4 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को संपदा निदेशालय से संपर्क करने की सलाह दी थी। हाईकोर्ट ने महुआ मोइत्रा को सरकारी आवास में कब्जा जारी रखने की अनुमति के लिए डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स से संपर्क करने को कहा था। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने महुआ मोइत्रा के मामले में संपदा निदेशालय को नियम भी समझाया था। कोर्ट ने कहा कि नियमानुसार कोई भी व्यक्ति छह महीने तक कुछ शुल्कों के पेमेंट पर रह सकता है। ऐसे में संपदा निदेशालय इसको जारी रखे। कोर्ट ने याचिका वापस लेने और निदेशालय से अनुरोध पत्र के साथ संपर्क करने की सलाह दी ताकि नियमानुसार उनको रहने की इजाजत मिल सके।

महुआ मोइत्रा के खिलाफ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में शिकायत कर आरोप लगाया था कि टीएमसी सांसद ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से संसद में सवाल पूछने के लिए गिफ्ट लिए। उन्होंने हीरानंदानी से संसद की वेबसाइट का अपना यूजर आईडी और पासवर्ड साझा किया। इस मामले की जांच के बाद एथिक्स कमेटी ने उनके निष्कासन की सिफारिश की थी। हालांकि, कमेटी के अन्य विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को एकतरफा करार दिया था।

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