राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक से सम्मानित मेजर एके रवींद्रन (रिटायर्ड) उर्फ मेजर रवि बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। उन्हें केरल में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। मेजर रवींद्रन ने हाल ही में एशियानेट न्यूजएबल से बात की। पेश हैं प्रमुख अंश।
Exclusive Interview: पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद से लड़ने में विशेष योगदान के लिए 1991 और 1992 में राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक से सम्मानित मेजर एके रवींद्रन (रिटायर्ड) उर्फ मेजर रवि ने Asianet Newsable की ऐश्वर्या नायर से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने पॉलिटिक्स ज्वॉइन करने और खासकर इस बारे में विस्तार से चर्चा की कि आखिर वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) में ही क्यों शामिल हुए।
सवाल: आपने राजनीति में उतरने का फैसला क्यों किया?
जवाब: भले ही मैं पब्लिकली कई तरह की शिकायतों को हैंडल कर रहा था, लेकिन पावर प्लेटफॉर्म तक पहुंचे बिना मैं किसी भी तरह के समाधान को खोज पाने में असमर्थ था। इसलिए, मैंने सोचा कि मेरे पास पावर होगी तो मैं आसानी से लोगों की मदद कर सकूंगा। हालांकि, जब मुझे इस बारे में फोन आया तो मैं हैरान था कि दिल्ली में नेता मेरी सोशल वर्किंग पर ध्यान दे रहे थे। इससे पहले खबरों में दावा किया गया था कि मैं कांग्रेस या सीपीआई (M) जैसी किसी अन्य पार्टी में चला गया हूं। खुद एक स्टार होने के नाते मैंने उनके कार्यक्रमों में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। हालांकि, मैं कभी किसी पॉलिटिकल पार्टी में कोई ऑफिशियली पद पर नहीं रहा। बाद में मुझे लगा कि इस तरह कि अफवाहों को विराम देने के लिए मैं एक खास पार्टी में शामिल हो जाऊंगा और फिर किसी अन्य पार्टी का कोई मेंबर आगे से अपने कार्यक्रमों के लिए मुझसे संपर्क नहीं करेगा। 'पॉलिटिकल एथिक्स' क्या है, ये बिल्कुल साफ है और अब जबकि मेरे पास क्षमता है, तो मुझे लगता है कि मैं दिल्ली के समर्थन से एक नेता के रूप में जनता की मदद कर सकता हूं।
सवाल: भारतीय जनता पार्टी ही क्यों? किस चीज की वजह से इस पार्टी की ओर आपका झुकाव हुआ?
जवाब: हमेशा से मेरी सोच रही है कि बीजेपी राष्ट्रवाद के साथ खड़ी है और वो ये है कि ये लोग अपने देश और उसके झंडे पर गर्व करते हैं। भारत और चीन के बीच पिछले युद्ध के दौरान मार्क्सवादी पार्टी ने चीन का समर्थन किया था। राष्ट्रीय सरोकार के मामलों में मैंने कभी किसी दूसरी पार्टी को इतना ज्यादा महत्व देते हुए नहीं देखा। RSS से मेरा जुड़ाव रहा, क्योंकि जब मैं स्कूल में था तो 2 साल तक संघ की शाखाओं में गया था। केरल में उस वक्त, KSU और SFI के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं थे, क्योंकि वहां ABVP नहीं थी और यही वजह थी कि मैं KSU में था। KSU तब एक जैसी विचारधारा वाले लोगों का समूह था, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं और काफी हिंसा हो रही है।
आज के दौर में, मैं एक ऐसे नेता को देखता हूं, जिसने पूरी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। मेरे प्रधानमंत्री जब भी किसी देश का दौरा करते हैं, तो हर तरफ उनका स्वागत किया जाता है। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति भी उनके बहुत बड़े फैन हैं। ऐसे में लगता है कि मुझे उसी पार्टी का मेंबर क्यों नहीं बनना चाहिए, जिसमें मेरे आदर्श प्रधानमंत्री मोदी हैं? मुझे पार्टी से कुछ भी पाने की कोई इच्छा नहीं है। मैं बस उनके हाथों को मजबूत करने की कोशिश कर सकता हूं, ताकि राष्ट्र का भला हो सके।
सवाल: आप केरल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को कैसे देखते हैं?
जवाब: केरल के वर्तमान राजनीतिक हालातों की बात करें तो ये साफ है कि एक अकेला शख्स लोकतांत्रिक के बजाय पाखंडी व्यवस्था का प्रभारी है। केरल के वास्तविक कम्युनिस्ट नेता इस बात से राजी होंगे कि राज्य में जो कुछ हो रहा है, वो उनके नैतिक सिद्धांतों के खिलाफ है। पहले कम्युनिस्ट पार्टी में काफी हद तक नैतिकता थी। लेकिन अब 'वन-मैन शो' से ज्यादा कुछ नहीं है। यहां तक कि खुद विपक्ष भी सत्तारूढ़ दल के शासन की कड़ी आलोचना नहीं कर रहा है। सत्तारूढ़ दल मनमर्जी कर रहे हैं, जबकि विपक्ष बेहद कमजोर है। हालांकि, विपक्ष के नेता वीडी सतीसन भरपूर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रयास अपर्याप्त हैं।
राज्य में दो तरह के नियम हैं। एक केवल मुख्यमंत्री के लिए और दूसरा राज्यपाल और आम जनता के लिए। उदाहरण के लिए, अगर आप मुख्यमंत्री के खिलाफ काले झंडे दिखाते हैं तो आपके खिलाफ कई केस दर्ज होने के साथ ही गिरफ्तारी हो सकती है। लेकिन केरल के राज्यपाल के सामने काले झंडे फहराने वाले के खिलाफ कोई एक्शन नहीं होगा।
सवाल: इस पद पर रहते हुए पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आपकी क्या योजना है?
जवाब: अब जबकि मैं एक पॉलिटिशियन हूं, तो इस अवसर का इस्तेमाल जनता को केंद्र सरकार की पहल और PM मोदी के नेतृत्व में हासिल किए गए विकास और उपलब्धियों को बताने के लिए करना चाहूंगा। इसके अलावा, आर्मी में काम करने के बाद मेरे पास सेना से संबंधित कई तरह की स्किल्स हैं। अत: देश की भलाई के लिए सरकार मुझसे जो भी सेवा चाहेगी, उसके लिए मैं अपना सबकुछ समर्पण कर दूंगा।
सवाल: NDA के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के शासन को देखते हुए, क्या मोदी सरकार 2024 में फिर से सत्ता पर काबिज होगी?
जवाब: बिल्कुल, इसमें हमें कतई संदेह नहीं होना चाहिए। केरल की राज्य सरकार मोदी गवर्नमेंट के विरोध में जो कुछ भी कहती है, वो केवल केरल के बॉर्डर, जैसे वालयार चेकपॉइंट तक ही सीमित है। केरल के बाहर हो रहे विकास का एहसास जनता को नहीं हो रहा है।
केरल के मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि त्रिशूर से पलक्कड़ तक जाने वाली सड़कें न्यूयॉर्क की सड़कों से बेहतर हैं। यह रूट सिर्फ चार लेन का है। जब आप केरल से बाहर जाते हैं और यूपी-बिहार से होते हुए कई सिक्स लेन वाले हाइवे से गुजरते हैं तो हकीकत पता चलती है।
इसके अलावा, विदेशों में भारतीय पासपोर्ट को कितना सम्मान मिलता है। जब मैंने UK और दुबई जैसे देशों का दौरा किया तो इसे महसूस किया। इसके अलावा, भारत ने UAE से खरीदे गए 10 लाख बैरल कच्चे तेल के लिए भारतीय रुपये में भुगतान किया। आप भारत के प्रधानमंत्री से और क्या उम्मीद करते हैं? हर एक भारतीय को अपने देश की उन्नति और विकास को देखकर खुश होना चाहिए। वहीं, विपक्ष केवल सत्ता हासिल करने के लिए सरकार की आलोचना कर रहा है, ताकि उन्हें एक बार फिर देश को लूटने की इजाजत मिल जाए।
सवाल: क्या केरल में BJP अपना खाता खोल पाएगी?
जवाब: मुझे लगता है कि हम 2 सीटें जरूर जीतेंगे। हालांकि, बीजेपी का लक्ष्य केरल में पांच सीटें जीतने का है। हमने एक अच्छी प्लानिंग के साथ बूथ लेवल से शुरुआत करते हुए इस दिशा में काम शुरू किया है।
सवाल: जहां तक रक्षा खरीद का सवाल है, तो आप मोदी सरकार के स्वदेशी या मेक-इन-इंडिया एजेंडे को किस तरह देखते हैं?
जवाब: जब मैं कमांडो था, तब हमारे पास कोई PSG1, स्नाइपर राइफल या स्वदेशी हथियार नहीं था। उस वक्त भारत विदेशों से हथियार और गोला-बारूद खरीदता था। लेकिन अब पूरे देश की इन्फेंट्री बटालियन INSAS 5.56 राइफलों से लैस हैं, जो भारत में निर्मित हैं। जल्द ही सेनाओं को स्वदेशी टैंक भी मिलेंगे। 2014 से पहले जब भारत सरकार विदेशों से हथियार खरीदती थी तो भ्रष्टाचार होता था। लेकिन अब सबकुछ भारत में बन रहा है, तो भ्रष्टाचार का सवाल ही नहीं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रक्षा मंत्री किसी भी तरह के भ्रष्टाचार में शामिल होने की हिम्मत नहीं करेंगे। इसके अलावा हम भारत से मोबाइल प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट देख रहे हैं। ये वो बदलाव है, जो मोदी सरकार लाई है।
सवाल: आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा से निपटने के लिए आप मोदी सरकार के नजरिये को कैसे देखते हैं?
जवाब: आतंकवाद के दुष्परिणामों को समझते हुए अमेरिका जैसे देश कभी भी आतंकियों बातचीत नहीं करते थे, लेकिन इसके उलट भारत में आतंकियों से बातचीत की जाती थी। इस चीज से मुझे बेहद दुख होता था, क्योंकि जनवरी 1989 में मुझे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ. रुबैया सईद के अपहरण के बाद उसे बचाने और आतंकियों को मार गिराने के लिए एक ऑपरेशन का नेतृत्व करने का मौका मिला था। लेकिन दुर्भाग्य से तब कि सरकार द्वारा आतंकियों से बातचीत की रणनीति के चलते चार खूंखार आतंकवादियों को रिहा कर दिया गया। बाद में यही आतंकी फ्लाइट हाईजैक कर अफगानिस्तान के कंधार ले गए और हमें एक बार फिर आतंकियों से बातचीत करनी पड़ी। हालांकि, आतंकियों को लेकर अब मोदी सरकार की पॉलिसी बिल्कुल साफ है। अगर कोई भारत पर हमला करेगा, तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा।
सवाल: BJP में आपकी एंट्री ऐसे समय पर हुई है, जब कुछ मशहूर हस्तियों ने इसे छोड़ दिया है। आप इसे कैसे देखते हैं?
जवाब: हां, मैंने बीजेपी को तभी ज्वॉइन किया, जब फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोग इसे छोड़कर गए। मेरा एक सवाल है कि आप बतौर जनता के सेवक बन काम करते हैं तो आखिर क्यों पार्टी को आपका ख्याल रखना चाहिए? देश के नागरिकों की सेवा के लिए आपको अपना ख्याल खुद रखना होगा। सच्ची राजनीति तो यही है। भले ही पार्टी ने मुझे वाइस प्रेसिडेंट पद ऑफर किया, लेकिन मैंने कहा था कि मुझे कोई पद नहीं चाहिए। हालांकि, पार्टी सचिव ने मुझे इस भूमिका को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया, ताकि हम ईमानदारी से बातचीत कर समस्याओं को हल कर सकें। मैं केवल लोगों की मदद के लिए पार्टी में आया हूं।