ममता बनर्जी का नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान, आखिर प. बंगाल की राजनीति में नंदीग्राम क्यों महत्वपूर्ण है

नंदीग्राम में आजादी के बाद 20 बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें 6 बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। 10 बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार जीते। एक बार 1977 में जनता दल ने जीत हासिल की। 3 बार 2009 (बाय इलेक्शन), 2011 और 2016 में टीएमसी के उम्मीदवार ने चुनाव जीता।

कोलकाता. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है वे नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगीं। सोमवार को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं इस बार यहां से चुनाव लड़ूं। इस ऐलान के बाद साफ हो गया कि ममता बनर्जी सीधे तौर पर सुवेंदु अधिकारी को चुनौती देना चाह रही हैं। सुवेंदु अधिकारी ने टीएमसी में रहते हुए नंदीग्राम से ही चुनाव लड़ा था। रैली में ममता बनर्जी ने कहा कि इस बार भी बंगाल में टीएमसी की सरकार बनेगी और टीएमसी को 200 से अधिक सीटें मिलेंगी।

ममता ने 2016 में भवानीपुर से लड़ा था चुनाव
साल 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ी थी और 25 हजार वोटों से जीती थीं। ममता ने यहां से कांग्रेस की दीपा दासमुंशी को हराया था। भाजपा तीसरे नंबर पर थी। भवानीपुर ममता को होमग्राउंड है। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद विधानसभा चुनाव में ममता नंदीग्राम के अलावा भवानीपुर से भी चुनाव लड़ सकती है।

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ममता ने कहा, नंदीग्राम ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, यहां तक कि उन्होंने 2016 में नंदीग्राम से अपनी चुनावी यात्रा शुरू की थी, इसलिए उन्हें लगता है कि नंदीग्राम उनके लिए भाग्यशाली है। इसलिए वे नंदीग्राम से चुनाव लड़ना चाहती हैं। 

प. बंगाल की राजनीति में नंदीग्राम का महत्व
पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर में नंदीग्राम विधानसभा सीट है। साल 2007 में यहां पर बड़ी हिंसा हुई थी। पश्चिम बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार यहां पर एक स्पेशल इकोनॉमी जोन बनाना चाहती थी। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। नतीजा हुआ कि यहां विवाद बढ़ा और पुलिस की गोली से 14 लोगों की मौत हो गई। ममता बनर्जी और उनकी अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया। चुनाव अभियानों में मा माटी मानुष (मां, मातृभूमि और लोग) का नारा दिया।

टीएमसी नंदीग्राम से 3 बार से चुनाव जीत रही है  
नंदीग्राम में आजादी के बाद 20 बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें 6 बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। 10 बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार जीते। एक बार 1977 में जनता दल ने जीत हासिल की। 3 बार 2009 (बाय इलेक्शन), 2011 और 2016 में टीएमसी के उम्मीदवार ने चुनाव जीता।

पश्चिम बंगाल में 2016 चुनाव का रिपोर्ट कार्ड?
साल 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को बहुमत मिला था। वहीं भाजपा को 294 में से सिर्फ 3 सीटे मिली थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 42 में से 18 सीटें जीतीं।
 


 

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