विकलांग सिर्फ मुसीबत और दुख पैदा करते हैं... इस शख्स ने 19 लोगों को उतार दिया था मौत के घाट

जापान में 30 साल के एक क्रूर अपराधी को फांसी की सजा सुनाई गई है। सातोशी युमात्सु ने साल 2016 में चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर 19 दिव्यांगों की हत्या कर दी थी। कोर्ट ने सातोशी को दोषी पाया। जिसके बाद उसे मौत की सजा दी गई है। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 17, 2020 9:48 AM IST

टोक्यो. जापान में 30 साल के एक क्रूर अपराधी को फांसी की सजा सुनाई गई है। नशे का आदी सातोशी युमात्सु ने साल 2016 में चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर 19 दिव्यांगों को मौत के घाट उतारा दिया था। युमात्सु ने कोर्ट में अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा, 'उसने मानसिक रोगियों के एक केयर सेंटर में कई लोगों पर चाकू से वार किए थे। इस घटना को जापान के इतिहास में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बुरे हत्याकांडों में से एक माना जाता है। 

हत्या के बाद खुद पहुंचा था पुलिस के पास 

सातोशी युमात्सु ने अपने बयान में कहा कि वो इस हमले में सभी विकलांगों को मौत के घाट उतारना चाहता था। वारदात के बाद सातोशी ने खून से सना चाकू लेकर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया था। जांच में पता चला कि उसने कुछ महीने पहले ही केयर होम की नौकरी छोड़ दी थी। इस नरसंहार के पीछे उसका मकसद था कि विकलांग लोग सिर्फ और सिर्फ मुसीबत और दुख पैदा करते हैं। ऐसा करके वो इस मुसीबत से हर किसी को छुटकारा देना चाहता था। 

कोर्ट ने कहा- दया का पात्र नहीं दोषी 

सातोशी युमात्सु ने 26 लोगों को चाकू से घायल किया गया था। सातोशी द्वारा कोर्ट में अपराध स्वीकार किए जाने के बाद कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि युमात्सु किसी भी तरह की दया का पात्र नहीं है। मुख्य न्यायाधीश कियोशी आनुमा ने कहा, उमात्सु ने कभी भी इस दिल दहला देने वाली हिंसा में अपना हाथ होने की बात से इनकार नहीं किया। ना ही उसे अपने किए पर कोई पछतावा था, लेकिन उनके वकीलों ने उसके दोषी नहीं होने की दलील दी। 

युमात्सु को फांसी की सजा सुनाते हुए जज कियोशी औनुमा ने कहा, ''इस अपराध को जान-बूझकर अंजाम दिया गया था और हत्या करने के इरादे का अदालत के पास पुख्ता सबूत हैं।'' पीड़ितों के परिजनों से खचाखच भरी अदालत में उन्होंने उस घटना को सबसे बड़ा 'नरसंहार' करार दिया। इस दौरान काले लिबास में युमात्सु अदालत में चुपचाप बैठा हुआ था। अदालत में उसने कहा था कि सजा की अपील करने का उसका कोई इरादा नहीं है। 
 

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