मणिपुर हिंसा को लेकर इंडियन आर्मी ने ताजा बयान जारी किया है। सेना ने कहा है कि महिला एक्टिविस्ट जानबूझकर रास्तों को रोक रही हैं और सेना के ऑपरेशन को रोकने की कोशिश कर रही हैं।
Manipur Violence. इंडियन आर्मी ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि मणिपुर में महिला एक्टिविस्ट जानबूझकर सेना के ऑपरेशन को रोकने का काम कर रही हैं। हाल ही में इंफाव ईस्ट के इथम गांव में महिला एक्टिविस्ट के समूह ने सेना का रास्ता रोका जिसके बाद 12 उग्रवादियों को मजबूरी में छोड़ना पड़ा था। अब आर्मी एक्शन मोड में है और ट्वीट करके महिला एक्टिविस्ट की कारस्तानी को सामने रखा है। आर्मी जब भी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए आगे बढ़ती है तो यह महिलाएं उग्रवादियों की ढाल बन जाती हैं।
सेना की स्पीयर्सकॉर्प्स ने शेयर किया ट्वीट
सेना की स्पीयर्सकॉर्प्स ने ट्वीट करते हुए कहा कि महिला एक्टिविस्ट्स के अनुचित हस्तक्षेप सेना की समय पर प्रतिक्रिया के लिए हानिकारक है। सेना ने कुछ वीडियो भी शेयर किए हैं जिसमें महिला कार्यकर्ताओं को सेना की कार्रवाई रोकते हुए साफ देखा जा सकता है। स्पीयर कोर ने कहा कि महिला कार्यकर्ता जानबूझकर सेना के ऑपरेशन को रोकने की कोशिश कर रही हैं यह जीवन और संपत्ति बचाने के लिए गंभीर परिस्थितियां पैदा कर रहा है। स्पीयर कोर ने यह भी कहा कि हम आबादी के सभी वर्गों से शांति बहाली प्रक्रिया को सुचारू करने की अपील करते हैं। कृपया मणिपुर की मदद करने में हमारी सहायता करें।
मणिपुर हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा मौतें
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा में करीब 100 लोग मारे जा चुके हैं और करोड़ों की संपत्ति स्वाहा हो चुकी है। कई कार्यालयों, नेताओं के बंगलों को आग के हवाले किया जा चुका है और वाहनों को भी ध्वस्त किया गया है। मामले की शुरूआत मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने से शुरू हुआ, जिसका कुकी समुदाय विरोध कर रहा है।
इसी कड़ी में आदिवास एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया, जिसके बाद हिंसा तेजी से भड़क उठी। इसके बाद यह थमने का नाम नहीं ले रही है। जानकारी के लिए बता दें कि राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है जबकि कुकी समुदाय के लोग 40 प्रतिशत हैं। मैतेई समुदाय के ज्यादातर लोग इंफाल के आसपास रहते हैं जबकि पहाड़ी इलाकों में कुकी समुदाय के लोग रहते हैं।
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