मनीष सिसोदिया को राहत नहीं: आबकारी केस में जेल में बंद पूर्व उपमुख्यमंत्री की ज्यूडिशियल कस्टडी बढ़ाई गई

Published : Apr 17, 2023, 05:01 PM ISTUpdated : Apr 17, 2023, 06:01 PM IST
Manish Sisodia

सार

कोर्ट ने कहा कि पूर्व में मनीष सिसोदिया कई सबूतों को नष्ट कर चुके हैं। अगर जमानत दी जाती है तो ऐसी आशंका है कि उनके द्वारा या उनके इशारे पर इस मामले में कुछ प्रमुख गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है।

Manish Sisodia Judicial custody: दिल्ली आबकारी नीति केस में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कोई राहत नहीं मिल सकी है। दिल्ली कोर्ट ने सिसोदिया की ज्यूडिशियल कस्टडी को बढ़ा दी है। कोर्ट ने दो सप्ताह के लिए कस्टडी को एक्सटेंड कर दिया है। विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सीबीआई मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 27 अप्रैल तक और ईडी मामले में 29 अप्रैल 2023 तक बढ़ा दी। न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद आप नेता को सोमवार को तिहाड़ से राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया था। अदालत ने पहले उनकी न्यायिक हिरासत 1 मई तक बढ़ा दी थी।

कोर्ट ने जमानत देने से भी किया इनकार

हाल ही में स्पेशल जज नागपाल ने सिसोदिया को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रकृति में गंभीर हैं और वह जमानत पर रिहा होने के लायक नहीं हैं। उनकी भूमिका की जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है और मामले में शामिल कुछ अन्य सह-आरोपियों के बारे में क्या कहना है जिनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है। कोर्ट ने कहा कि पूर्व में मनीष सिसोदिया कई सबूतों को नष्ट कर चुके हैं। अगर जमानत दी जाती है तो ऐसी आशंका है कि उनके द्वारा या उनके इशारे पर इस मामले में कुछ प्रमुख गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है।

उधर, सीबीआई ने कहा कि तत्कालीन उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह आबकारी नीति को बनाने में और उसके कार्यान्वयन में शामिल थे।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सीबीआई कर चुकी है पूछताछ

दिल्ली आबकारी पॉलिसी केस में सीबीआई ने रविवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछताछ की थी। सीबीआई का आरोप है कि दिल्ली आबकारी पॉलिसी को बनाने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर ही मीटिंग हुई थी। कैबिनेट की मीटिंग भी सीएम की अध्यक्षता में हुई थी। आबकारी नीति केस में बदलाव किन शर्तों पर किए गए, क्यों बार-बार रिजेक्ट होने के बाद उपराज्यपाल ने नीति को अप्रूव किया। पढ़िए पूरी खबर…

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