ये हैं चंद्रयान-3 के साइंटिस्ट राकेश नैय्यर, कैंसर रोगियों को चाय पिला कर लाते हैं चेहरे पर मुस्कान

चंद्रयान-3 मिशन में शामिल इसरो (ISRO) के वैज्ञानिक राकेश नैय्यर बेंगलुरु के किदवई कैंसर अस्पताल में कैंसर रोगियों को चाय बांटकर खुश होते हैं। 'मिशन चाय' पहल के तहत नैय्यर अपने साथियों के साथ मिलकर मरीजों को चाय-नाश्ता उपलब्ध कराते हैं।

Ganesh Mishra | Published : Aug 22, 2023 3:54 PM IST / Updated: Aug 22 2023, 09:27 PM IST
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किदवई अस्पताल से शुरू हुई पहल अब कई जगह पहुंची

बता दें कि नैय्यर दादी के कहने पर प्रेरित हुए और पिछले 7 साल से कैंसर रोगियों की मदद कर रहे हैं। उनका ये मिशन अब लगभग 1500 रोगियों के साथ ही दूसरे अस्पतालों तक भी पहुंच गया है। अन्य अस्पतालों तक फैल गया है। चाय बांटने से शुरू हुई उनकी ये पहल अब कैंसर मरीजों को भोजन, दान और दूसरी जरूरत की चीजों तक पहुंच चुकी है।

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चाय पिलाने के साथ बांटते हैं दुख-दर्द

इसरो साइंटिस्ट राकेश नैय्यर बेंगलुरु के किदवई कैंसर अस्पताल में मरीजों को चाय परोसकर न सिर्फ उनके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, बल्कि वो खुद मरीजों के साथ चाय पीते हुए उनका दुख-दर्द बांटते और हंसाते हैं। चंद्रयान 3 प्रोजेक्ट में शामिल राकेश नैय्यर की ये पहल कैंसर मरीजों की जिंदगी में खुशी के पल बिखेर रही है।

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रोजाना 1500 मरीजों को बांटते हैं चाय

इसरो वैज्ञानिक राकेश नैय्यर पिछले 7 सालों से कैंसर रोगियों के जीवन में रोशनी का जरिया बने हुए हैं। नैय्यर अपनी सुबह की शुरुआत एक कप चाय के साथ करते हैं और कैंसर पेशेंट्स के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं। 'मिशन चाय' के जरिए उनका मकसद जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे लोगों को आराम और ट्रीटमेंट देना है। 100 लोगों को चाय परोसने से शुरू हुई उनकी ये मुहिम अब 1500 मरीजों तक पहुंच चुकी है।

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इस नेक काम में इसरो वैज्ञानिक मंजुला भी शामिल

राकेश नैय्यर के इस नेक काम में चंद्रयान-3 के कंट्रोल डिपार्टमेंट की महिला वैज्ञानिक मंजुला और उनके दोस्त भी शामिल हैं। हर दिन वे मरीजों को बादाम का दूध, चाय, बिस्कुट और अलग-अलग फल बांटते हैं, जिसकी कुल लागत 2,500 रुपये है। किदवई कैंसर अस्पताल के मरीजों को राकेश नैय्यर और उनके साथियों द्वारा तैयार चाय का खास शौक है। राकेश नैय्यर को ये जानकर बेहद खुशी होती है कि दयालुता के इस काम ने चंद्रयान की सफलता में योगदान दिया है।

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नैय्यर को आखिर कहां से मिली इस काम की प्रेरणा

राकेश नैय्यर की सेवा के पीछे की प्रेरणा लगभग एक दशक पहले की है, जब उनके ससुर पंजाब के अमृतसर में अस्पताल में भर्ती थे। वे गैंगरीन के चलते अपना पैर कटने के बाद अस्पताल में संघर्ष कर रहे थे। इसी दौरान एक दादी अम्मा उनके पास पहुंची और उन्हें चाय ऑफर की। दादी के इस सरल स्वभाव का नैय्यर के दिल-ओ-दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ा। साथ ही उनके ससुर को भी बहुत खुशी हुई।

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नैय्यर ने दादी अम्मा की नेक पहल को आगे बढ़ाया

दादी अम्मा की उस मुस्कुराहट को ध्यान में रखते हुए राकेश नैय्यर ने भी मरीजों को चाय पिलाने और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के काम को आगे बढ़ाया। नैय्यर ने अपने मिशन के लिए सबसे पहले बेंगलुरु के किदवई अस्पताल को चुना। आगे चलकर उनकी ये पहल किदवई मतवा, संजय गांधी अस्पताल, हैदराबाद के एमएनजी अस्पताल तक पहुंच गई है।

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7 साल से नैय्यर कर रहे मरीजों की मदद

16 अगस्त 2016 को शुरू हुई 'मिशन चाय' पहल को हाल ही में 7 साल पूरे हो गए हैं। सुबह की चाय का महत्व वे रोगी बेहतर समझ सकते हैं, जो अपने बिस्तर तक ही सीमित हैं। कई लोगों ने सुझाव दिया है कि नैय्यर और अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए अपने इस मिशन को और आगे बढ़ाएं।

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चाय के अलावा और भी तरीकों से करते हैं मरीजों की हेल्प

बता दें कि चाय बांटने के अलावा, मिशन चाय के सदस्य जन्मदिन और विशेष अवसरों पर मरीजों की भोजन, दान आदि के माध्यम से भी मदद करते हैं।

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मरीजों के ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े खर्च भी उठा रहे।

इस पहल ने मृत व्यक्तियों के ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी लागत को कवर करने में भी मदद की है, जिसमें इस कोशिश की उदारता और प्रभाव साफ झलकता है।

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