प्रभु सातों जन्म में भी ऐसी पत्नी ना मिले...पीपल देवता की 108 बार उल्टी परिक्रमा कर पतियों ने मांगी यह दुआ

आपने सुना होगा कि अपने सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं पीपल देवता की पूजा करती हैं। लेकिन आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि महाराष्ट्र में महिलाओं की जगह पुरूषों ने पीपल देव की पूजा की है। 
 

Manoj Kumar | Published : Jun 14, 2022 6:26 AM IST / Updated: Jun 14 2022, 12:09 PM IST

औरंगाबाद. हम यह मानकर चलते हैं घर में उत्पीड़न की शिकार सिर्फ महिलाएं ही होती हैं। पर, यह पूरा सच नहीं है। कई घरों में पुरूष भी उत्पीड़न का शिकार होते हैं। हाल ही में ऐसा एक मामला महाराष्ट्र के पुणे में सामने आया, जहां घर में पत्नियों से पीड़ित पतियों ने सामूहिक रूप से पीपल देवता की पूजा की। पतियों ने यह दुआ भी मांगी की प्रभु दोबारा क्या सातों जन्म में उन्हें ऐसी पत्नी न मिले। आखिर क्या है यह माजरा, जानने के लिए पढ़ें यह खबर...

जानकारी के अनुसार औरंगाबाद में अपनी पत्नियों से पीड़ित और व्यथित पुरुषों के एक समूह ने पत्नियों के अन्याय के खिलाफ कड़े कानून की मांग की है। उन्होंने इसके लिए आंदोलन भी किया। साथ ही पुरूषों के समूह ने पीपल के पेड़ की 108 बार उल्टी परिक्रमा की ताकि उन्हें दोबारा ऐसी पत्नी न मिले। इससे पहले भी कुछ पीड़ित पुरूषों ने पत्नियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए पत्नी पीड़ित आश्रम की शुरूआत की थी। बीते सोमवार को समूह के लोगों ने फिर से आंदोलन किया और पत्नियों के खिलाफ कानून की मांग की है। 

Latest Videos

क्यों की पीपल देव की परिक्रमा
पत्नी पीड़ित आश्रम के संस्थापक भरत फुलारे ने बताया कि मंगलवार को मनाई जा रही वट पूर्णिमा के अवसर पर महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती है। साथ ही सात जन्मों के लिए एक ही पति पाने की प्रार्थना भी करती हैं। इसलिए हमने उससे एक दिन पहले यहां एक पीपल के पेड़ की पूजा की और प्रार्थना की है कि ऐसी जीवनसाथी दोबारा न मिले। उन्होंने कहा यह भी कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कानून बनाए गए हैं लेकिन उनका दुरुपयोग किया जाता है।

कड़े कानून की मांग
भरत फुलारे ने कहा कि अब पुरुषों के लिए भी कानून बनाने की जरूरत है ताकि वे अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकें। इसलिए हमने यह आंदोलन किया है। फुलारे ने कहा कि हमने पत्नी पीड़ित आश्रम की स्थापना इसीलिए की है ताकि पत्नियों से पीड़ित पुरूषों को सुकून मिल सके। हालांकि इस आश्रम में प्रवेश उतना आसान नहीं है। यहां दाखिल होने के लिए पत्नी द्वारा पति पर कम से कम 20 केस दर्ज होने चाहिए या फिर पति, पत्नी की वजह से जेल की हवा खा चुका हो। अब पीपल की पूजा करके नई शुरूआत की गई है। 

यहां रोजाना क्यों होती है कौए की पूजा
यदि आप इस आश्रम का दौरा करेंगे तो पाएंगे कि आश्रम में प्रवेश करते ही पहले कमरे मे कार्यालय बनाया गया है। जहां पत्नी पीडितों को कानूनी लड़ाई के बारे मे सलाह दी जाती है। कार्यालय में थर्माकोल से बना बड़ा कौआ सबका ध्यान खिंचता है। रोजाना सुबह-शाम अगरबत्ती लगाकर उसकी पूजा की जाती है। आश्रम में रहने वालों ने बताया कि मादा कौआ अंडा देकर उड़ जाती है लेकिन नर कौआ चूजों का पालन पोषण करता है। ऐसी ही कुछ स्थिति पत्नी पीड़ित पति की रहने से कौए की प्रतिमा का पूजन किया जाता। 

यह भी पढ़ें

अब दिव्यांग भी आम लोगों की तरह चल और काम कर सकेंगे, IIT ने इतने कम बजट में बनाया कृत्रिम पैर

Share this article
click me!

Latest Videos

रिटर्न मशीन हैं 7 Stocks..मात्र 1 साल रखें बढ़ेगा पैसा!
मुजफ्फरनगर में क्यों भिड़ गए योगी के 2 मंत्री, जमकर हुई तू-तू, मैं-मैं । Anil Kumar । Kapil Dev
राहुल ने बताई विपक्ष की पावर कहा- पहले जैसे नहीं रहे मोदी #Shorts
RSS और BJP की चुप्पी! संजय सिंह ने फिर से दोहराए Arvind Kejriwal के पूछे 5 सवाल
इस्तीफा देने के बाद कहां रहेंगे केजरीवाल, नहीं है घऱ #Shorts