आपदा में अवसर: मैथिलीशरण गुप्त की कविता-'अवसर तेरे लिए खड़ा है' को मोदी ने कुछ यूं अंदाज में किया पेश

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्ता की कविता के जरिये बदलते भारत की तस्वीर पेश की। जानिए मोदी ने क्या कहा?

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2021 7:22 AM IST / Updated: Feb 08 2021, 12:53 PM IST

 

नई दिल्ली. राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जवाब में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता-अवसर तेरे लिए खड़ा है..को नये संदर्भ में नये शब्दों के साथ पेश किया। वे कोरोनाकाल के बारे में बोल रहे थे। मोदी ने पहले गुप्त की कविता पढ़ी-अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है, तेरा कर्म क्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल!

इसकी तर्ज पर मोदी ने कोरोनाकाल में मिले अवसरों का भारत ने जिस तरीके से लाभ उठाया, उसका जिक्र करते हुए कहा कि अगर इसी कविता को 21वीं सदी के आरंभ में उन्हें लिखना होता, तो क्या लिखते? फिर मोदी ने इस कविता की तर्ज पर नई कविता सुनाई-अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़...!

जानते हैं कौन हैं मैथिलीशरण गुप्त

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त, 1886 को यूपी के झांसी के करीब चिरगांव में हुआ था। वे कवि, राजनेता, नाटककार और अनुवादक थे। हिंदी के प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। साहित्य जगत उन्हें दद्दा के नाम से पुकारता था। उनकी कृति भारत-भारती(1912) स्वतंत्रता आंदोलन में इतनी लोकप्रिय हुई कि उन्हें महात्मा गांधी ने राष्ट्रकवि की उपाधि दी थी। 1954 को भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था।
 

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