आतंकवाद की कमर तोड़ने भारत सहित दुनिया के 75 देश एक साथ आगे आए हैं। आतंकवादियों की फंडिंग रोकने के तरीकों पर चर्चा के लिए दिल्ली में 2 दिन का अंतरराष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन शुक्रवार (18 नवंबर) से शुरू हुआ। इस महत्वपूर्ण कान्फ्रेंस में 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा मौजूद रहेंगे।
नई दिल्ली. आतंकवाद की कमर तोड़ने भारत सहित दुनिया के 75 देश एक साथ आगे आए हैं। आतंकवादियों की फंडिंग रोकने के तरीकों पर चर्चा के लिए दिल्ली में 2 दिन का अंतरराष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन शुक्रवार (18 नवंबर) से शुरू हुआ। इस महत्वपूर्ण कान्फ्रेंस में 75 देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा मौजूद रहेंगे। गृह मंत्रालय 'आतंकवाद के लिए कोई धन नहीं-No Money for Terror: आतंकवाद के वित्तपोषण से मुकाबले के लिए मंत्रियों का सम्मेलन' की मेजबानी कर रहा है। पहले दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्री भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (PM Modi) सम्मेलन का उद्घाटन किया।
मोदी ने कहा-दशकों से, अलग-अलग नामों और रूपों में आतंकवाद ने भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। हमने हजारों बेशकीमती जानें गंवाईं, लेकिन हमने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है। खास बात यह है कि यह सम्मेलन भारत में हो रहा है। हमारे देश ने दुनिया के गंभीर रूप से ध्यान देने से बहुत पहले आतंक की भयावहता का सामना किया था। हम तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक आतंकवाद का सफाया नहीं हो जाता।
आतंकवाद मानवता, स्वतंत्रता और सभ्यता पर हमला है। यह कोई सीमा नहीं जानता। केवल एक यूनिफार्म, यूनिफाइड और जीरो-टॉलरेंस अप्रोच ही आतंकवाद को हरा सकता है। यह सर्वविदित है कि आतंकवादी संगठनों को कई स्रोतों से पैसा मिलता है। एक स्रोत स्टेट सपोर्ट है। कुछ देश अपनी विदेश नीतियों के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं। वे उन्हें राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। टेरर फंडिंग के स्रोतों में से एक आर्गेनाइज्ड क्राइम है। इसे अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए। इन गिरोहों के अक्सर आतंकी संगठनों से गहरे संबंध होते हैं। अब आतंकवाद की गतिशीलता बदल रही है। तेजी से आगे बढ़ती तकनीक एक चुनौती और समाधान दोनों है। आतंक के वित्तपोषण और भर्ती के लिए नए प्रकार की तकनीक।
कई देशों के अपने कानूनी सिद्धांत और प्रक्रियाएं हैं। संप्रभु राष्ट्रों(Sovereign nations) को अपनी व्यवस्था पर अधिकार है। हालांकि, हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि चरमपंथियों को सिस्टम के बीच मतभेदों का दुरुपयोग करने की अनुमति न दें। जो भी कट्टरता का समर्थन करता है, उसका किसी भी देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। पिछले कुछ महीनों में भारत में सुरक्षा के विभिन्न आयामों से जुड़े कई सम्मेलन हुए हैं।
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यह कान्फ्रेंस इसमें भाग लेने वाले देशों और संगठनों को आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण(counter terrorism financing) पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारों की प्रभावशीलता के साथ-साथ उभरती चुनौतियों के समाधान की दिशा में आवश्यक कदमों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करेगी। सम्मेलन पिछले दो सम्मेलनों (अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवंबर 2019 में मेलबर्न में आयोजित) के अनुभव और सीख पर आगे बढ़ेगा और आतंकवादियों को फंडिंग से वंचित करने और अपनी कार्ययोजनाओं को संचालित करने के क्रम में अनुमति प्राप्त अधिकार क्षेत्र तक पहुंच सुविधा के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशा में विचार-विमर्श करेगा।
सम्मेलन में दुनिया भर के लगभग 450 प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिनमें मंत्री, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुख और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शामिल हैं। सम्मेलन के दौरान चार सत्रों में विचार-विमर्श किया जाएगा, जो आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण में वैश्विक रुझान, आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों का उपयोग, उभरती प्रौद्योगिकियां और आतंकवादी वित्तपोषण(Emerging Technologies and Terrorist Financing)’ और आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने में चुनौतियों के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित होंगे।
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